Monday, January 14, 2013

padhayee


पढाई - जैनेंद्र कुमार
जैनेंद्रकुमार का जन्म कौडियागंज अलीगढ में १९०५ ईं में एक मध्यवर्गीय जैन परिवार में हुआ। प्रेमचंद के पश्चात हिन्दी कहानी को नयी दिशा देनेवाले महत्वपूर्ण कथाकारों में जैनेंद्रकुमार विशिष्ट है। जैनेंद्र से पूर्व की कहानियाँ घटना प्रधान थी सन् १९३० के पश्चात् जैनेंद्र ही एक ऎसे कहनीकार है, जिन्होंने अपनी कहानियों में घटनाऒं के स्थान पर पात्रों के चरित्र को अधिक महत्व दिया। वे पात्रों के अंतर्मन में पैठकर वहाँ की पीडाओं का अंर्तद्धन्द्धों का अत्यंत बारीकी से अवलोकन किया और सहज भाषा शैली द्वारा, मनोदशाओं के उतार चदाओं का सूक्ष्म चित्रण प्रस्तुत किया। जैनेंद्रजी के आगमन से हिन्दी-कहानी में मनॊवैज्ञानिकता का पक्ष विशेष रूप से सबल बन गया।
सारांश:
          पढाई कहानी में लेखक की बेटी का नाम सुनयना है, सब लोग प्यार से उसे नूनो बुलाते W। वह छह बरस की हो गई है अब अदब सीखे, कहना माने और शऊर से रहे। पर यह है कि माँ का दूध नहीं छॊडना चाहती । माँ इससे बडी असंतुष्ट है- एक तो लडकी है, वह यों बिगडी जा रही है। बिगड जाएगी तो फिर कौन संभालेगा ?
          उनके पेट की कन्या है, पर दुनिया बुरी है। उसने पढना लिखना जैसी चीज भी अपने बीच में पैदा कर रखी है । इस दुनिया को लेकर वह झाँझट में पड जाती है । माँ तो माँ है, पर लडकी तो सदा लडकी बनी रहेगी नहीं । नूनो को पढाने केलिए मास्टर्जी आते हैं बॆटी पढना नहीं चाहती, लेकिन माँ कहती है “मास्टरजी, इसे तस्वीर वाला सबक पढाना और इसके मन के मुताबिक पढाना ।”----और  फिर नूनो की ऒर जो देखती है, तो और कहती है - “अच्छा मास्टरजी, आज छुट्टी सही। जरा कल जल्दी आ जाना |”
          एक दिन जब लेखक लिख रहे थे तब उनकी पत्नी आकर कहती है नूनो को पढने लिखने में मन नहीं है , क्यों नहीं उसे बुलाकर कुछ कहते? तब लेखक कहते हैं अभी वह छः साल की है, बहुत छॊटी है, आगे चलकर पढेगी पर वह जब नहीं मानती। वह चाहती है कि उसकी बेटी घर में ही पाँच घंटे पढे। पाठशाला में अध्यापिका बच्चे का नेक खयाल नहीं रखती, धमकाएँ और मांरे भी और वह बच्ची को आँखॊं से ऒझल होने देना नहीं चाहती। लेखक अंत में, दिन में एक घंटा बेटी को पढाने का जिम्मेदारी लेते है तो पत्नी खुश हो जाती है ।
          सबेरे ही घर में कोलाहाल सुनाई दिया तो लेखक समझ गए कि यह नूनो को लेकर ही है नहीं तो सभी अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। सारा हंगामा नूनो के दुध न पीने की जिद को लेकर है पर वह बुआ के प्यार से कहने पर दूध पीकर दोस्त हरिया के साथ खेलने चली जाती है। जब वह अपने दोस्तों के साथ “गोपीचंदर भरा समन्दर बोल मेरी मच्ची, कित्ना पानी? खेलने में मगन है, बीच में नौकर आकर नूनो का हाथ पकडकर कहा- “चलो, बहुजी बुलाती है”। पर नुनॊ जाना नहीं चाहती, नौकर हाथ खींचने लगा तो लेखक छत पर से खेल देख रहे थे तो नौकर को दो बार रोकते है पर तीसरी बार खुद उनकी पत्नी आकर नूनो को खींचती हुई ले गई और कोठरी में बंद कर दिया। बेटी को कमरे में बंद तो कर दिया और साथ ही खूब रो ली। लेकिन लेखक ने खाना नहीं खाया। कहा “ मेरा एक घंटा पढाई (बेटी को खेलने देना ही) यही है। पत्नी ने आँसुऒं से सबकुछ स्वीकार कर लिया चौथे रोज मायके चल दी, कुछ दिन बाद वह आ गई लेखक की सब बात झट मान लेती है, पर हाल वही है। क्योंकि लडकी को पढाना है और पिटकर दुबली होगी तो डाक्टर है, और डाक्टर केलिए पैसा है- पर लडकी को पढना है ।
          अंत में लेखक बेटी को पढाने के नाम पर अकेले में नूनो से मच्छी-मच्छी खेलता चाहते है और नूनो खेलती नहीं, लेखक से किताब के मतलब पूछती हैं।

विशेषताएँ:
          ‘पढाई’ कहानी बाल्य मनोविज्ञान के आधार पर लिखी गई है, जिसमें लडकी की पढाई-लिखाई की समस्या पर एक परिवार के अतरंग भावों का खूबी के साथ चित्रण किया गया है। बडे लोग अपने बच्चों के मनॊभावों का अध्ययन न कर, उन पर अपने विचारों को ही थॊपने का प्रयास करते हैं तथा कहा न माननेवाले बच्चों को देते हैं प्रताडना, जिससे बाल्य मन के विकास में एक अवरोध पैदा हो जाता है । यही इस कहानी का मूल प्रतिपाद्य विषय है जो पाठकों को चिन्तन करने के लिए बाध्य कर देता हैं।
I.      एक शब्द या वाक्य के प्रश्न: (आप उत्तर वाक्यों में लिखिए)
1.       नूनो का पूरा नाम क्या है?- सुनयना
2.       हरिया कौन है? - सुनयना का दोस्त
3.       नूनो को कहाँ बंद कर दिया गया?- कोठरी में
4.       हरि या हरिया का पूरा नाम क्या है?- हरिश्चन्द्र
5.       सब बच्चे मिलकर क्या खेल रहे थे? - गॊपीचन्दर भरा समन्दर बोल मेरी मच्छी, कित्ता पानी?
6.       नूनो को रोज रोज क्या अच्छा नहीं लगता- दुध पीना
7.       नूनो कितने बरस की हैं? - छह
8.       माँ किस बात को लेकर झंझट में पड जाती है?- दुनियादारि
9.       माँ मास्टरजी से नूनो को कैसे पढाने केलिए कहती है? - तस्वीरवाला सबक पढाना, इसके मन के मुताबिक पढाना ।
10.     माँ नूनो को घर पर कितने घंटे पढाने के लिए कहती है? - ५ घंटे

II.     टिप्पणी
.      लेखक की पत्नी       २. बुआ
.      हरिया                     . लेखक
III.      . बाल मनोविज्ञान पर आधारित ‘पढाई’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।
अथवा
पढाई’ कहानी का सार लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।

डॉ सुकन्या मार्टिस
पूर्णप्रज्ञ कालेज
उडुपि

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