पूस
की रात
विट्ठ्ल नायक
उपन्यास साम्राट मुन्शी प्रेमचन्द हिन्दी
कहानी साहित्य के मूर्धन्य कहानी कार हैं । आपका जन्म ३१जुलाई, सन १८८० ई. में हुआ
। आपका असली नाम धनपतराय था । उन्हें बचपन में बडी कठिनाइयों का सामना करना पडा । पहले
नवाबराय के नाम के नाम से कहानियाँ लिखते थे । आपने हिन्दी में लगभग तीन सौ कहानियाँ
लिखीं । आप कहानीकार, उपन्यासकार, निबन्ध लेखक और संपादक भी थे । ८ अक्टूबर सन१९३६
ई. में आपकी मृत्यु हुई ।
मुख्य कृतियाँ -सेवा सदन, प्रेमाश्रम,
रंगभूमि, निर्मला आदि उपन्यास है । शतरंज के खिलाडी, नमक का दारोगा आदि ३००सौ कहानियाँ
हैं ।
कहानी का सारांश –
कहानी ‘पूस की रात’ में हल्कू के माध्यम
से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है । बहुत साल पहले
की बात है । उत्तर भारत के किसी एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के
साथ रहता था । किसी की जमीन में खेती करता था । पर आमदानी कुछ भी नहीं थी । उसकी पत्नी
खेती करना छोडकर और कहीं मजदूरी करने कहती थी ।
हल्कू के लगान के तीर पर दूसरों की खेती
थी । खेते के मालिक का बकाया था । हल्कू ने अपनी
पत्नी से तीन रुपए माँगे । पत्नी ने देने से इनकार किया, ये तीन रुपिए जाडे
की रातों से बचने केलिए, कंबल खरीदने के लिये जमा करके रखे थे । मालिक के तगादे और
गालियों से डरकर उसने वे तीन रुपिए निकलकर दे दिए । जमिंदार रुपिए लेकर चला गया ।
पूस मास आ गया । अंधेरी रात थी । कडाके
की सर्दी थी । हल्कू अपने खेत के एक किनारे ऊख के पत्तों की छतरी के नीचे बाँस के खटोले
पर पडा था । अपनी पुरानी चादर ओडे ठिठुर रहा था । खाट के नीचे उसका पालतू कुत्ता जबरा
पडा कुँ-कूँ कर रहा था । वह भी ठण्ड से ठिठुर रहा था । हल्कू को उसके हालत पर तरस आ
रहा था । उसने जबरा से कहा-‘तू अब ठंड खा, मैं क्या करुँ ? यहाँ आने की क्या जरुरत
थी ?’ हल्कू बहुत देर तक कुत्ते से बातें करता रहा । जब ठंड के कारण उसे नींद नहीं
आई, तब कुत्ते को अपने गोद में सुला लिया । उसके शरीर के गर्मी से हल्कू को सुख मिला
। कुछ घण्टे बीत गये । कोई आहट पाकर जबरा उठा और भौंकने लगा । उसे अपने कर्तव्य का
मान था ।
हल्कू के खेत के समीप ही आमों का बाग
था । बाग में पत्तियों का ढेर किया, पास के अरहर के खेत में जाकर कई पौधे उखाड के लाया
। उसे सुलगाया और अपने खेत में आकर वहाँ के पत्तियों को भी सुलगाया । हल्कू और कुत्ते
दोनों आग तापने लगे । ठंड की असीम शक्ति पर विजय पाकर वह विजय गर्व को ह्रदय में छिपा
न सकता था । वह कंबल ओढकर सो जाता है ।
उसी समय नजदीक में आहट पाकर जबरा भौंकने
लगा । कई जानवारों का एक झुण्ड खेत में आया था । शायद नील गायों का झुण्ड था । उनके
कूदने-दौडने की आवजें साफ कान में आ रही थी । फिर ऐसा मालूम हुआ कि वे खेत में चर रही
हैं । जबरा तो भौंकता रहा । फिर भी हल्कू को उठने का मन नहीं हुआ ।
जबरा तो भौंकता। था । नील गायें खेत
का सफाया किये डालती थी । और हल्कू गर्म राख के पास शांत बैठा हुआ था और धीरे-धीरे
चादर ओढकर सो गया । उदर नील गायों ने रात भर चरकर खेती की सारी फसल को बरबाद किया था
। सबेरे उसकी नींद खुली । मुन्नी ने उससे कहा-‘...तुम यहाँ आकर रम गये । और उधर सारा
खेत सत्य नाश हो गया ।...’ दोनों खेत के पास आ गये । मुन्नी ने उदास होकर कहा-अब मजूरी
करके पेट पालना पडेगा । हल्कू ने कहा-‘रात की ठण्ड में यहाँ सोना तो न पडेगा ।’ उसने
यह बात बडी प्रसन्नता से कही, उसे ऐसी खेती करने से मजूरी करना बहुत हद तक आरामदायक
है । मजूरी करने में झंझट तो नहीं हैं ।
विशेषताएँ –
कहानी में कृषक जीवन की दुर्बलता और
सबलता की झाँकी दिखाना है । कृषक याने किसान एक एक दृष्टि से सबल होता है । वह कडी
मेहनत करता है । पैसा-पैसा काँट-छाँटकर बचा रखता है । फिर हर प्रकार के कष्ट सहन करता
है । जाडे में ठिठुरता है,जमिंदार की गाली सुनता है,फिर भी काम करता जाता है । यही
उसकी सबलता है । वह दुर्बल है, क्यों कि उसमें जमिंदार के अन्याय के विरुद्ध खडा होने
की हिम्मत नहीं है । परिस्थितियाँ इसके लिए जिम्मेदार हैं । हल्कू ने अपनी मेहनत की
कमाई जमिंदार को दी और खुद पूस की रात में ठण्ड से ठिठुरने लगा । यही उसकी कमजोरी है
। परिस्थितियों की दबाव के कारण नील गायों से अपनी फसल की रक्षा भी न कर सका । अतः
कहानी कार ने किसान की विवशता के लिए जिम्मेदारी शक्तियों के प्रति व्यंग्य किया है
।
प्रश्न-
1 ‘पूस की रात’ कहानी का सारांश लिखिए
।
२ भारतीय कृषकों के जीवन का स्पष्ट चित्र
‘पूस की रात’ में अंकित किया गया है । इस बात को सिद्ध कीजिए ।
३ हल्कू के जीवन की असहयता पर प्रकाश
डालिए ।
टिप्पणी
–
मुन्नी
हल्कू
जबरा
भारतीय
किसान की गरीबी
एक
अंक के प्रश्न
1. ‘पूस की रात’ कहनी का लेखक कौन है ? प्रेम चन्द
२. हल्कू ने कंबल के लिए कितना रुपए जमा किये थे
? तीन
३. हल्कू की स्त्री खेती छोडकर क्या करने के लिए
कहती है ?मजूरी
४. हल्कू की स्त्री का नाम क्या है ? मुन्नी
५. हल्कू की कुत्ता का नाम क्या है ? जबरा
६. जाडा किसकी भाँति हल्कू की छाती कोदबाये हुआ
था ? पिशाच की भाँति
७. हल्कू के खेत की फसल को किस झुण्ड ने सत्य नाश
किया था ? नील गायों ने
८. उजडे खेत को देखकर मुन्नी ने क्या कहा ? अब मजूरी
करके माल्गुजरी भरनी पडगी
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