Wednesday, March 13, 2013

BA II sem questions update


I B.A
दायरा

  दायरा कहानी के कहानीकार का नाम बताइए।
    राजेन्द्र यादव
. हरी और विभा के घर कौन आए?
    पुष्पा, बिहारीलाल और उनके दो बच्चे ।
. हरी के घर मेहमान कौन्से दिन आए?
    रविवार
. विभा और पुष्पा के बीच कौन्सा रिश्ता है?
    सगी बहनें
. पुष्पा का परिवार कहाँ से आया है?
    अमेरिका
. हरी और विभा बच्चों के साथ कहाँ जाने के लिए तैयार हो रहे थे?
    सिनेमा
.पुष्पा विदेश में भी कौन्सा व्रत रखना चाहती है?
    करवाचौथ
.विभा ने हरी को मिठाई लाने के लिए कितने रुपए दिए?
    दस रुपए
. हरी का परिवार किस शहर में रहता है?
     दिल्ली
१०.बिहारीलाल कहाँ इंजीनियर होकर नियुक्त हुए थे?
    मध्यप्रदेश के किसी मिल में।

कस्बे का आदमी

. कस्बे का आदमी कहानी का कहानीकार कौन है?
    कमलेश्वर
. छोटे महाराज किस जाति के थे?
    वैश्य
. छोटे महाराज के बाप-दादा कौन्सा काम करते थे?
    सोने-चाँदी
.छोटे महाराज किसके साथ तीर्थयात्रा पर निकल पडते हैं?
    चाची के
.छोटे महाराज का नाम क्या है?
    छोटेलाल
.छोटे महाराज ने कंजर से क्या ले लिया?
    तोता
.छोटे महाराज के तोते का नाम क्या है?
    सन्तू
.छोटे महाराज इक्के से कहाँ उतरे?
    अस्पताल के पास
.छोटे महाराज ने तोते को किसे सौंपा?
    शिवराज
१०.छोटे महाराज ने तोते का पिंजरा कहाँ रख लिया था?
    सिरहाने
११.छोटे महाराज ने तोते का पिंजरा सिरहाने क्यों रख लिया था?
    अंतिम काल में राम नाम सुनने के लिए




Saturday, February 23, 2013

lanka kand questions I b.com.




लंका कांड - प्रश्नावली
मुख्य प्रश्न:
१.      लंकाकांड का सार लिखिए ।
२.      लंकाकांड की कथावस्तु को संक्षेप में लिखते हुए उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
३.      लंकाकांड के विविध प्रसंगों का वर्णन करते हुए विशेषताओं पर विचार कीजिए ।
४.      लंकाकांड का सारांश प्रस्तुत करते हुए कवि तुलसी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए ।
५.      लंकाकांड के आधार पर राम तथा रावण के चरित्रंगत अंतर को स्पष्ट कीजिए ।
६.      अंगद और रावण के संवाद अपने शब्दों में लिखिए।
टिप्पणी के लिए विषय :
१.      समुद्र पर सेतु की रचना       २.          अंगद दूत – कर्म                    ३. मन्दोदरी का उपदेश         
४.      माल्यवंत का उपदेश           ५. लंका पर राम की सेना का आक्रमण      ६. रावण
७.      अंगद             ८. मन्दोदरी    ९. माल्यवंत    १०.    सुबेल पर्वत पर चन्द्रदर्शन
सप्रसंग व्याख्या
Unit I
१.जामवंत ने ............................... कछु नाहीं॥( पृ. सं.
२. सिव द्रोही ................................. मति थोरी॥
३. जे रामेस्वर ................................. नर पाइहि॥
४. सब तरु फरे ............................... सिखर चलवाहिं॥
५. कंप ना भूमि ............................. भयंकर भारी॥
६. सजल नयन ................................ हठ मन धरहु॥
७. कह दसकंठ  ................................. आयउँ भाई॥
८. अब कहु कुसल ............................. उर लाई॥
९. सिल्पि कर्म ............................... कह बालिकुमारा॥
१०. सुनु सठ ............................... सुमन चढाई॥
Unit II
१.कटकटान कपि ................................. मारुत ग्रसे॥
२. रे प्रिय चोर ................................ खल मनुजादा॥
३. गहसि ..................................... जिमि ससि सोहई॥
४. कंत समुझि ..................................... असि मनुसाई॥
५. नारि बचन सुनि ........................... त्रास सब भूलि ।।
६. आए कीस काल .................................. अहार बिधि दीन्हा ॥
७. उग्र वचन सुनि .................................. प्रान कर लोभी ॥
८. महाबीर निसिचर ................................ लरत करि क्रोधा ॥
९. जब ते तुम सीता ................................ काहुँ न सुख पायो ॥
१०. कहँ बिभीषनु  ................................. श्रवन लगि ताने ॥
११. जब ते तुम्ह सीता .............................. न सुख पायो॥
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prathinidhi kahaniyan I b.com.



प्रतिनिधि कहानियाँ
मनुष्य का निर्माण एक समाज विशेष और एक स्थिति विशेष में होता है, उसकी कला की प्रेरणा भी उसी से प्रभावित होती है। जिस युग का जीवन जिन सुख-दुख की विषम परिस्थितियों के विषम दात- प्रतिधात से विकसित होता है, उस युग का कलाकार अपने को उस व्यापक संघर्ष से अलग नहीं रख सकता। अपने युग की सामाजिक राजनीतिक आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का वर्णन अपनी रचनाओं में वह करता है।
साधारण तथा मनुष्य मानसिक-वृत्तियों के द्रष्टिकोण से दो श्रेणियाँ में विभजित हो सकते हैं, बुध्दि प्रधान और ह्रदय प्रधान, बुध्दि के लिए भौतिकता सर्व प्रथम आवश्यक है, और ह्रदय के लिए भावनात्मक सत्तायें जिनके आधार पर वह अपनी मानसिक- प्रतिभाओं को संसार में अवतीर्ण करना चाहता है। हिंदी साहित्य के प्रसिध्द कहानी कार प्रेमचंद और जयशंकर प्रसादजी ने बडे भाई साहब और आकासदीप कहानी के द्वारा इन दो मानसिक  प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए रोमांचक संघर्ष उपस्थित किया है। जयशंकर प्रसाद और प्रेमचंद इस दृष्टी से एक दूसरे के पूरक है। प्रेमचंद और जयशंकर प्रसादजी के चरित्र चित्रण अधिक मनोवैज्ञानिक तथ्यपूर्ण और आदर्शवादी है।

२.आकाश दीप
-जयशंकर प्रसाद
 पसिध्द कहानिकार जयशंकर प्रसाद्जी मानव ह्र्दय के आंतरिक रहस्य को व्यंजित करने में बहुत निपुण हैं। आपने भारतीय संस्क्रति और इतिहास से संबंधित अनेक कहानियाँ भी लिखी हैं।
आपकी "आकाश दीप" कहानी प्रेम और घ्रणा के द्वन्द पर आधारित एक विशिष्ट कहानी है। इस कहानी का प्रारंभ समुंदर के बीच नाव में बम्धी दो पात्रों के बिच वार्तालाप के साथ होता है। उसमें एक चम्पा थी और एक जलदस्यू बुधगुप्त दोनों अपने आप को बंध्मुक्त करदेते हैं। उस नाव में इन दोनों के अलावा दस नाविक और एक प्रहरी था। जब आँधी च्लने लगती है युकति और युवक बन्धमुक्त होकर हँसने लगते हैं। इस घटना को जयशंकरजीने नाटकीय ढंग से सजाया है। इतना ही नाहीं एक छायावादी कवि एवं प्रकृति के आराधक होने के नाते सुन्दर  प्रकृति वर्णन भी किया गया है। बंधि बुधगुप्त को आजाद देककर नायक उसे ललकारता है और बन्धी बनाना चाहते हैं लेकिन द्वन्द्व युद्ध में नायक हार जाता है और बुधगुप्त का अनुचार बनजाता है। बुधगुप्त की शूरता से प्रभावित होकर चम्पा उससे प्यार करने लगी। चम्पा अपनी पूर्ण कहानी बुधगुप्त से कहती है और बुधगुप्त अपना परिचय देते हैं।
कहानीकार ने यहाँ चम्पा और बुधगुप्त के बीच उत्पन्न प्यार का काव्यात्मक ढंग से वर्णन किया है। अंत में दोनो एक द्वीप में आकर उतर पडते हैं जिसका कोई नाम नहीं था । बुधगुप्त उस द्वीप का नाम चम्पा द्वीप रख्ते हैं ।
पाँच बरस बीत जाते हैं। चम्पा एक उच्च सौध पर बैठी हुई दीपक जला रही थी वह वहीं सपनों में खोई हुई थी वहाँ आकर बुधगुप्त पूछता है कि क्या यह आकाश-दीप तुम्हीं को जलना है। कोई दासी यह नहीं कर  सकती है । लेकिन च्म्पा एक भावुक उत्तर देती है। च्म्पा बताती है अब तुम महानाविक बन गए हो बाली जावा और सुमात्राका वाणिज्य व्यवहार तुम्हारे अधिकार में है लेकिन मुझे तुम तब अच्छे लगत थे जब तुम्हारे पास सिर्फ एक ही नाव थी। चम्पा को बुधगुप्त ने द्वीप की महाराणी बनाया था लेकिन वह अपने को बन्धी समझती है। चम्पा बुधगुप्त को बताती है तुमने दास्युव्रत्ति को छोड दी लेकिन तुम्हारा ह्रदय अब भी अकरूण, असंत्रुप्त ज्वलनशील है। चम्पा अपने पिता और माता की याद करती है। अपने पति के लिए बाँस की पिटारी में दीप जलाकर भागीरथी के तट पर बाँस के साथ ऊँचे टाँग देती थी। यह याद आते ही व्यघ्र हो उठती है और चिल्लाते कहती है "मेरे पिता विर पिता की म्रत्यु के निष्ठूर जलदस्यू!! ह्ट जाओ।" कहानी के पाँचवे ख्ण्ड में च्म्पा और जया का जल्यान, वहाँ बधगुप्त का आगमन और च्म्पा से प्यार भरा संवाद आदि का वर्णन कहानी कार ने किय है, लेकिन चम्पा हमेशा अन्यमनस्क बन के उसे उत्तर देती थी। चम्पा के ह्र्दय में द्वंद्व चलता था। एक ओर वह उससे प्यार करती है तो दूसरी तरफ नफरत। लेकिन बुधगुप्त के साथ प्यार भरा आलिंगन के बाद वह अपने पास छिपाया क्रपाण अतल जल में डुबो देती है "ह्रदय ने छल किया, बार-बार धोखा दिया।"
चम्पा बताती है " जब मैं अपने ह्रदय पर विश्वास नहीं कर सकी उसी ने धोखा दिया; तब मैं कैसे कहूँ। मैं तुमसे घृणा करती हूँ, फिर भी तुम्हारे लिए मर सकती हूँ। अँधेर है जलदस्यु तुम्हें प्यार करती हूँ।" इतना कहके चम्पा रो पड्ती है!! यह कथन चम्पा के मानसिक द्वंद्व को और भी उजागर करता है। एकओर अपने पिता का ह्त्यारा जलदस्यु बुधगुप्त दूसरी तरफ अपने ह्रदय को जीत के अपनेलिए सबकुछ समर्पित करने तैयार बुधगुप्त किसे चुने!
आदिवासि समारोह में चम्पा को वनदेवी का श्रंगार किया हुआ था। दीप स्थंभ पर चडने पर जया द्वारा पता चलता है कि उसकी शादी की तैयारियाँ होगयी है तब कुपित चम्पा बुधगुप्त से पूछती है। "क्या मुझे निस्सहाय और कंगाल जानकर ही आज तुम सब ने प्रतिशोध लेना चाहा?" लेकिन बुधगुप्त फिर से अपने प्यार की सच्चायी का वर्णन करते हैं और कहता है आज हमारी शादी हो जाएगी और कल ही हम अपार धन राशी के साथ भारत चले  जाऐंगे। 
बुधगुप्त से प्यार करते च्म्पा कहती है मेरे मन में कोई विशेष आकांक्षा नहीं हैं। तुम भारत चले जाओ मुझे यहीं छोड दो मैं इन लोगों की सेवा करती यहीं रहूँगी। लेकिन बुधगुप्त पूछते हैं तुम अकेली यहाँ क्या करोगी इसके उत्तर में चम्पा बताती है “पहले विचार था कि कभी कभी इस दीप-स्तंभ पर से आलोक जला कर अपने पिता की समाधि का इस जल में अन्वेशण करूँगी किन्तु देख्ती हुँ मुझे इसी में जलना होगा  जैसे ‘आकाश दीप” इसप्रकार कहानी शीर्षक के साथ अंत होती है चम्पा की मानसिक वेदना और अंतरद्वन्द्व बहुत स्पष्ट है।”  अंत में भारत की ओर प्रस्तान करते बधुगुप्त के पोतों को देखकर वह बहुत दःखी होती है।
यह काहानी मानव ह्रदय के अंतरद्वन्द्वों को उजागर करने में सक्षम हुई है। इस कहानी में कथानक गौण है संवेदना की गहराई प्रमुख है। चम्पा और  बुधगुप्त की अनुभूति और मनोभाओं को मनोवैज्ञानिक ढंग से कहानीकार ने उजागर किया है। प्रकृति चित्रण नारी की सुकुमार भावनाएँ, कथानक में नाट्कीयता सूक्ष्मातिसूक्ष्म भाव व्यंजना इस कहानी में है। कहानिकार प्रसिद्ध नाटककार भी होने के नाते कथानक में संवादात्मकता, नाट्कीयता,कलात्मकता और रोमांटिक ढंग से प्रस्तुत करना इस कहानी की विशेषता है। कर्तव्यनिष्ठ चम्पा बुधगुप्त से न तो प्रेम कर सकती है और न उसका प्रेममय ह्रदय घृणा कर सकता है। इस काहानी का अंत करूणाऔर मानवतावाद में होता है।

डा मुकुंद प्रभु
विभागद्यक्ष हिंदी
संत अलोसियस महाविद्यालय (स्वायत्त), मंगलूर





३. पढाई
- जैनेंद्र कुमार
जैनेंद्रकुमार का जन्म कौडियागंज अलीगढ में १९०५ ईं में एक मध्यवर्गीय जैन परिवार में हुआ। प्रेमचंद के पश्चात हिन्दी कहानी को नयी दिशा देनेवाले महत्वपूर्ण कथाकारों में जैनेंद्रकुमार विशिष्ट है। जैनेंद्र से पूर्व की कहानियाँ घटना प्रधान थी सन् १९३० के पश्चात् जैनेंद्र ही एक ऎसे कहनीकार है, जिन्होंने अपनी कहानियों में घटनाऒं के स्थान पर पात्रों के चरित्र को अधिक महत्व दिया। वे पात्रों के अंतर्मन में पैठकर वहाँ की पीडाओं का अंर्तद्धन्द्धों का अत्यंत बारीकी से अवलोकन किया और सहज भाषा शैली द्वारा, मनोदशाओं के उतार चदाओं का सूक्ष्म चित्रण प्रस्तुत किया। जैनेंद्रजी के आगमन से हिन्दी-कहानी में मनॊवैज्ञानिकता का पक्ष विशेष रूप से सबल बन गया।
सारांश:
          पढाई कहानी में लेखक की बेटी का नाम सुनयना है, सब लोग प्यार से उसे नूनो बुलाते W। वह छह बरस की हो गई है अब अदब सीखे, कहना माने और शऊर से रहे। पर यह है कि माँ का दूध नहीं छॊडना चाहती । माँ इससे बडी असंतुष्ट है- एक तो लडकी है, वह यों बिगडी जा रही है। बिगड जाएगी तो फिर कौन संभालेगा ?
          उनके पेट की कन्या है, पर दुनिया बुरी है। उसने पढना लिखना जैसी चीज भी अपने बीच में पैदा कर रखी है । इस दुनिया को लेकर वह झाँझट में पड जाती है । माँ तो माँ है, पर लडकी तो सदा लडकी बनी रहेगी नहीं । नूनो को पढाने केलिए मास्टर्जी आते हैं बॆटी पढना नहीं चाहती, लेकिन माँ कहती है “मास्टरजी, इसे तस्वीर वाला सबक पढाना और इसके मन के मुताबिक पढाना ।”----और  फिर नूनो की ऒर जो देखती है, तो और कहती है - “अच्छा मास्टरजी, आज छुट्टी सही। जरा कल जल्दी आ जाना |”
          एक दिन जब लेखक लिख रहे थे तब उनकी पत्नी आकर कहती है नूनो को पढने लिखने में मन नहीं है , क्यों नहीं उसे बुलाकर कुछ कहते? तब लेखक कहते हैं अभी वह छः साल की है, बहुत छॊटी है, आगे चलकर पढेगी पर वह जब नहीं मानती। वह चाहती है कि उसकी बेटी घर में ही पाँच घंटे पढे। पाठशाला में अध्यापिका बच्चे का नेक खयाल नहीं रखती, धमकाएँ और मांरे भी और वह बच्ची को आँखॊं से ऒझल होने देना नहीं चाहती। लेखक अंत में, दिन में एक घंटा बेटी को पढाने का जिम्मेदारी लेते है तो पत्नी खुश हो जाती है ।
          सबेरे ही घर में कोलाहाल सुनाई दिया तो लेखक समझ गए कि यह नूनो को लेकर ही है नहीं तो सभी अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। सारा हंगामा नूनो के दुध न पीने की जिद को लेकर है पर वह बुआ के प्यार से कहने पर दूध पीकर दोस्त हरिया के साथ खेलने चली जाती है। जब वह अपने दोस्तों के साथ “गोपीचंदर भरा समन्दर बोल मेरी मच्ची, कित्ना पानी? खेलने में मगन है, बीच में नौकर आकर नूनो का हाथ पकडकर कहा- “चलो, बहुजी बुलाती है”। पर नुनॊ जाना नहीं चाहती, नौकर हाथ खींचने लगा तो लेखक छत पर से खेल देख रहे थे तो नौकर को दो बार रोकते है पर तीसरी बार खुद उनकी पत्नी आकर नूनो को खींचती हुई ले गई और कोठरी में बंद कर दिया। बेटी को कमरे में बंद तो कर दिया और साथ ही खूब रो ली। लेकिन लेखक ने खाना नहीं खाया। कहा “ मेरा एक घंटा पढाई (बेटी को खेलने देना ही) यही है। पत्नी ने आँसुऒं से सबकुछ स्वीकार कर लिया चौथे रोज मायके चल दी, कुछ दिन बाद वह आ गई लेखक की सब बात झट मान लेती है, पर हाल वही है। क्योंकि लडकी को पढाना है और पिटकर दुबली होगी तो डाक्टर है, और डाक्टर केलिए पैसा है- पर लडकी को पढना है ।
          अंत में लेखक बेटी को पढाने के नाम पर अकेले में नूनो से मच्छी-मच्छी खेलता चाहते है और नूनो खेलती नहीं, लेखक से किताब के मतलब पूछती हैं।

विशेषताएँ:
          ‘पढाई’ कहानी बाल्य मनोविज्ञान के आधार पर लिखी गई है, जिसमें लडकी की पढाई-लिखाई की समस्या पर एक परिवार के अतरंग भावों का खूबी के साथ चित्रण किया गया है। बडे लोग अपने बच्चों के मनॊभावों का अध्ययन न कर, उन पर अपने विचारों को ही थॊपने का प्रयास करते हैं तथा कहा न माननेवाले बच्चों को देते हैं प्रताडना, जिससे बाल्य मन के विकास में एक अवरोध पैदा हो जाता है । यही इस कहानी का मूल प्रतिपाद्य विषय है जो पाठकों को चिन्तन करने के लिए बाध्य कर देता हैं।

डॉ सुकन्या मार्टिस
पूर्णप्रज्ञ कालेज
उडुपि

४. मास्टर साहब
-      चंद्रगुप्त विद्यालंकार
          आपका जन्म पंजाब के एक गाँव कोटअदूदू में हुआ। आपकी शिक्षा गुरुकुल कांगडी, हरिद्वांर में हुई । आपके कई कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी-लेखक के अतिरिक्त आप सफल आलोचक तथा पत्रकार भी है । सजीव चित्रण, रोचक शैली तथा प्रवाहपूर्ण भाषा के कारण आपकी कहानियाँ मर्मस्पर्शी हॊती है, जिन्हें पढकर पाठक तन्मय हो जाताहै। आपने गहन विषयों को सरल शैली और माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया है। मनुष्य की संवेदनाओं को पकडने और प्रतिफलित करने के लिए आपकी कहानियाँ बहुत गहरे उतरती है।
सारांश:
          बूढे मास्टर रामरतन अजीब थकान की वजह से खेतों के बीचोंबीच बने छॊटे से चबूतरे पर बिछी चटाई पर लेट गए। सनू १९४७ के अगस्त मास की एक चाँदनी रात अभी अभी शुरू हुई थी। पिछले दिनों बहुत गर्मी रही थी- मौसम की भी, दिमाग की भी। मास्टर साहब का यह कस्बा जैसे दुनिया के एक किनारे पर है। नजदीक से नजदीक का रेलवे स्टेशन वहाँ से तीन मील की दूरी पर है । पिछले कितने ही दिनों से अमंगलपूर्ण खबरें दिन-रात सुनने में आ रही है कि मुसलमान हिन्दुओं और सिक्खॊं के खून के प्यासे बन गए हैं। दुनिया तबाह हो रही है, घर-बार लूटे जा रहे हैं । सब तरफ मार-काट जारी है । मास्टर साहब के गांव में अभी तक अमन-चैन जारी है। मास्टर साहब अपनी जिंदगी के ६५ साल यहां बिताया है और उनकी शागिर्दों की संख्या हजारों में है। हिन्दू, सिक्ख, मुसलमान सभी कॊ उन्होंने दिलचस्पी से पढाया है। कॊई एकाएक उनका दुश्मन कैसे और क्यों बन जाएगा। फिर उन जैसा फारसीदां पाकिस्तान वालों का कोई दुश्मन कैसे हो जाएगा? । पाकिस्तान एक दिन बनना ही था, वह मास्टर साहब के जिंदगी में ही बन गया । लेटे-लेटे मास्टर साहब को नींद आ गई। आँखें जब खुली तो सहसा उन्होंने पाया कि वातावरन अभी तक एकदम नीरव है। वे उठे और तेजी से गाँव की तरफ चल पडे। एक गहरी चुप्पी पुकारकर उन्हें चेतावनी दे रही थी कि महाकाल की बेला सिर पर है। वे तेजी से अपने गांव की ओर बढते गए। दौडते दौडते गाँव की सीमा में आ पहुँचे। सामने मिले पडोसी नत्थुसिंह से पूछा कि मेरे घर का क्या हाल है। वह अपनी असमर्थता को सिर हिलाकर जता दिया । दूर पर जल रहे मकानों की ज्वालाएं एक भयोत्पादक आवाज उत्पन्न कर रही थी। क्षण-भर बाद मास्टर साहब ने अपनी लाडली पोती निम्मो को आवाज दी, कोई जवाब नहीं मिला । मास्टर साहब ने पुकारा-निम्मो की दीदी, बेटा सत्ती, बेटा प्रकाश बेटी सत्यवती कोई जवाब नहीं आया !
          मास्टर साहब धीरे-धीरे घर के भीतर प्रविश्ट हुए। तुलसी के झाड के नीचे नन्हें सत्ती और नन्हे प्रकाश के क्षत-विक्षत निष्प्राण देह पडे मिले। चबुतरे पर माँ-बेटी, मास्टर साहब की जीवन संगिनी अपनी बडी लडकी से चिपककर पडी है-निप्प्राण-निस्पन्द। पर उनकी लाडली पोती निम्मो- जिसकी पन्द्रहवी वर्षगांठ अभी पाँच दिन पहले हुआ- कहीं दिखाई नहीं दी। बाद में उन्हें पता चला कि चांद डूबने से घण्टा- भर पहले मुसलमानों की एक बहुत बडी संख्या ने गाँव के उस भाग पर हमला कर दिया, जिसमें हिन्दु और सिक्ख रहते थे। यह हमला इतना अचानक और इतने जोर से हुआ कि उसका मुकाबला किया ही नहीं जा सका । भयंकर मारकाट और लूटमार के बाद गुण्डे लोग गाडियों में भरकर लूटा हुआ माल अपने साथ लेते गए, साथ ही गाँव की बीसों जवान लडकियों को भी अपने साथ ले गए । वे लोग बच गए जो रात की वक्त घरों से भागकर खेतों में जा छिपे या दूर भाग गए । वे सब लोग अब एक जगह इकट्ठे कर लिए गए, और उन्हें नए हिन्दुस्तान में भेजने का इन्तजाम किया जा रहा है। अपनी जीवन-संगिनी, बडी विधवा पुत्री और दोनों पोतों को एकसाथ खोकर पागल सा हो गये थे। बूढे मास्टर ने निश्चय किया कि वे किसी तरह निम्मो की तलाश करेंगे, किसी--किसी तरह उसके पास पहुँच जाएँगे और साफ था कि वह उसे बचा नहीं सकेंगे, तब निम्मो के पास पहुँचकर अपने हाथों अपनी पोती की हत्या करके खुद भी मर माएँगे।
          गाँव छॊडने के तीन दिन के भीतर मास्टर रामरतन का कायाक्ल्प हो गया, किसी अपरिचित के लिए यह पहचान सकना आसान नहीं था कि वह हिन्दू है या मुसलमान, वह एक फकीर की तरह दिख रहे थे। आसपास की कितनी बस्तियाँ और गाँवों को तलाश ने के बाद मालुम हुआ कि गाँव पर आक्रमण करने वालों का मुखिया एक पूरे गाँव का जमींदार गुलाम रसूल था और यह भी कि वह कितनी ही हिन्दू लडकियों को अपने साथ घर ले गया हैं।
          गुलाम रसूल का घर तलाश करने में मास्टर साहब को देर नहीं लगी । उन्होंने मकान पर दस्तक दी एक बच्चे ने आकर पूछा-क्या चाहिए? एक महान हत्यारे के घर उनका स्वागत एक बच्चा करेगा, इसकी उम्मीद उन्हें कदापि नहीं थी । बच्चा अंदर जाकर कहा- कोई फकीर है अम्मी! अब्बा को पूछता है। इस बीच उन्होंने उपाय सोच लिया, नूरपूर के जमींदार के नाम पर, जो लडकियाँ चाहता है और अच्छा कीमत भी देने को तैय्यार है, इस बहाने लडकियों को देखने की इच्छा प्रकट कर सकते है। अगर उनकी चाल असफल हो गई तो वे अंदर छिपे तेज चाकू से रसूल पर हमला करेंगे, नहीं तो इसी चाकू से एक हत्या निम्मो का और उसके बाद आत्महत्या।
          सहसा एक अप्रत्यशिता घटना घटित हो गई । जो छोटा बच्चा पहले दरवाजा खोला था, उसी हमीद का हाथ पकडकर निम्मो दरवाजे पर आ गई, मास्टर साहब चीख उठे-निम्मो! और १५ वर्ष की पोती को गॊद में उठा लिया । भावों का पहला तूफान निकल जाने के बाद उन्होंने पाया कि बच्चा हमीद निम्मो का हाथ ही नहीं छॊडना चाहता। अब भी उसका दाहिना हाथ निम्मो के बायें हाथ को पकडे हुए है । सहसा गली में शॊर मच गया “काफिर, काफिर” मास्टर साहब जेब से चाकू निकलने से पहले दो जवान मुसलमानों ने उन्हें जकडकर पकड लिया उसी वक्त गालियाँ बकते हुए गुलाम रसूल ने अपनी बैठक में प्रवेश किया । मास्टर पर निगाह पडते ही वह चिल्ला उठा ......ओह मास्टर साहब ! आप यहाँ कैसे? मानवीय सहानुभूति का हल्का सा आसरा पाकर बूढे मास्टर के हृदय की संपूर्ण व्यथा आँखों की राह बह चली कुछ क्षण बाद रसूल ने मास्टर को अपनी छाती से लगा लिया । जब पता चला कि निम्मो उनकी पोती है तो, तभी चार दिनों में उसका बेटा हमीद इसे अपनी सगी बहन समझने लगा है। और मास्टर साहब से कहा-निम्मो के साथ मेरी हिफाजत में आप चाहे जहाँ भी चले जा सकोग ।
          सांप्रदायिक दंगों के पाशविक वातावरण में इन्सान एक दूसरे के खून का प्यासा हो गया है। ऎसे समय अधिकतर इन्सान सांप्रदायिक विष को पीकर मानवता की रक्षा में अपना सहयोग देते है । अक्सर देखा जाय तो यह भावना हमेशा अन्तर्धारा के रुप में विद्यमान रहकर अपना असर दिखाती हैं।

डॉ सुकन्या मार्टिस
पूर्णप्रज्ञ कालेज
उडुपि

१.शतरंज के खिलाडी
एक शब्द या वाक्य के प्रश्न: (उत्तर वाक्यों में लिखिए)
१. शतरंज के खिलाडी कहानी का लेखक कौन है?  - प्रेमचन्द
२. वाजिदअली शाह के जमाने में लखनऊ किस के रंग में डुबा हुआ था? – विलासिता
३. वाजिदअली के जमाने में जीवन के प्रत्येक विभाग में किस का प्राधान्य था?  - आमोद-प्रमोद का
४. मिर्जा सज्जदअली और मीर रौशनअली अपना अधिकांश समय क्या करने में व्यातीत करते थे? – बुद्धि तीव्र करने में
५. किसके घर के दीवानखाने में बाजियाँ चलती थी?  - मिर्जा सज्जदअली के
६. मीर साहब की बेगम किस कारण से उनका घर से दूर रहना ही पसंद करती थी? – अज्ञात कारण से
७. बादशाही हजरत के आने के बाद दोनों कहाँ पर नक्शा जमाने की सोचते हैं? – गोमती पार वीराने में
८. अंग्रेजी फौज क्या करने लखनऊ आ रही थी? – अधिकार जमाने
९. अंग्रेज सेना वाजिदअली शाह को बिना एक बूंद लहू गिराए लिए जा रही थी तो क्या यह शांति थी या कायरता? – कायरता
१०.शतरंज के दोनों बादशाह अपने अपने सिंहासनों पर बैठे किस पर रो रहे थे? – इन दोनों की मृत्यु पर
११. शतरंज के खिलाडियों के नाम क्या है? – मिर्जा सज्जदअली और मीर रोशनअली
१२. किसने दीवानखाने जाकर शतरंज की बाजी उलट दी? – मिर्जा सज्जद अली की बेगम ने
१३. अपने बादशाह के लिए एक बूँद आँसू न बहानेवाले खिलाडियों ने किसके लिए प्राण दिये? – शतरंज के वजीर के लिए
१४. किसके अनुसर शतरंज बडा मनहूस खेल हैं? – मुहल्ले के नौकर-चाकर
१५. आखिर शतरंज के खिलाडी शहर से बाहर शतरंज खेलने कहाँ बैठे? – मसजिद के खंडहर में
टिप्पणी:
१. मिर्जा की पत्नी            २. मीर रौशनअली
३. वाजिद अली शाह का लखनऊ   ४. अंग्रेज और वाजिदअली शाह
निबंधात्मक प्रश्न:
१. शतरंज के खिलाडी कहानी का सारांश लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
२. मिर्जा और मीर के बीच हुए शतरंज के खेल का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
३. वाजिद अली शाह के जमाने में लखनऊ के जीवन का चित्रण कीजिए।

२. आकाशदीप:
एक शब्द या वाक्य के प्रश्न: (उत्तर वाक्यों में लिखिए)
१. आकाशदीप कहानी का लेखक कौन है?  - जयशंकर प्रसाद
२. चंपा किस नगरी की क्षत्रिय बालिका थी? – चम्पा नगरी
३. युवक जलदस्यु का नाम क्या है? – बुद्धगुप्त
४. चम्पा के पिताजी किसके यहाँ प्रहरी का काम करते थे? – मणिभद्र
५. ताम्रलिप्ति का क्षत्रिय कौन था? – बुद्धगुप्त
६. पोत से पथप्रदर्शक ने चिल्लाकर क्या कहा? – आँधी
७. चम्पा के एक उच्च सौध पर बैठी हुई कौन दीपक जला रही थी? – चम्पा
८. चंपा की माँ मिट्टी का दीपक बाँस की पिटारी पर जलाकर भागीरती के तट पर बाँस के साथ ऊँचे क्यों टाँग देती थी? – अपने पथभ्रष्ट नाविक को अंधकार में ठीक पथ पर ले आने के लिए
९. क्या चंपा बुधगुप्त पर विश्वास करती है? – नहीं
१०. चंपा आजीवन उस दीपस्थंभ से क्या जलाती रही? – दीपक
११. चंपा को किसने बंदी बनाया था? – वणिक मणीभद्र ने
१२. चंपा और बुद्धगुप्त की पहली भेंट कहाँ हुई थी? – नाव में
१३. बन्दी का नाम क्या है? - बुद्धगुप्त
टिप्पणी:
१. मणिभद्र          २. बुद्धगुप्त
३. जलदस्यु          ४. चम्पा
निबंधात्मक प्रश्न:
१. आकाशदीप कहानी का सारांश लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
२. आकाशदीप कहानी के आधारपर चंपा का चरित्र चित्रण कीजिए।
३.”चंपा बुद्धगुप्त से घृणा भी करती है और उसके लिए मर भी सकती है’ – पठित कहानी के आधारपर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

३. पढाई:
एक शब्द या वाक्य के प्रश्न: (उत्तर वाक्यों में लिखिए)
1. नूनो का पूरा नाम क्या है?- सुनयना
2. हरिया कौन है? - सुनयना का दोस्त
3. नूनो को कहाँ बंद कर दिया गया?- कोठरी में
4. हरि या हरिया का पूरा नाम क्या है?- हरिश्चन्द्र
5. सब बच्चे मिलकर क्या खेल रहे थे? - गॊपीचन्दर भरा समन्दर बोल मेरी मच्छी, कित्ता पानी?
6. नूनो को रोज रोज क्या अच्छा नहीं लगता- दुध पीना
7. नूनो कितने बरस की हैं? - छह
8. माँ किस बात को लेकर झंझट में पड जाती है?- दुनियादारि
9. माँ मास्टरजी से नूनो को कैसे पढाने केलिए कहती है?
- तस्वीरवाला सबक पढाना, इसके मन के मुताबिक पढाना ।
10. माँ नूनो को घर पर कितने घंटे पढाने के लिए कहती है? - ५ घंटे
II.     टिप्पणी
. लेखक की पत्नी                 २. बुआ
. हरिया                  . लेखक
III. निबंधात्मक प्रश्न:
. बाल मनोविज्ञान पर आधारित ‘पढाई’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।
२. ‘पढाई’ कहानी का सार लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।

४. मास्टर साहब:
I.      एक शब्द या वाक्य में प्रश्न (उत्तर वाक्यों में लिखिए)
1.       मास्टर साहब का पूरा नाम क्या है?- रामरतन
2.       मास्टर साहब कहानी किस समय की है- आगस्त १९४७
3.       मास्टर साहब की पोती कौन है- निर्मला
4.       निर्मल को प्यार से क्या बुलाते है- निम्मो।
5.       मास्टर साहब के बेटी और पोतों का नाम क्या हैं?- बेटी-सत्यवती पोता-सत्ती और प्रकाश
6.       गुलम रसूल के बेटे का नाम क्या हैंहमीद
7.       मास्टर साहब के गाँव पर आक्रमण करनेवालों का मुखिया कौन् है?- जमिंदार गुलाम रसूल
8.       मास्टर साहब का पडोसी कौन हैं?- नत्थूसिंह
9.       निम्मो कितने साल की हैं? - १५
10.     मास्टर साहब यह कहानी किस पर आधारित हैं?-सांप्रदायिक दंगे और अंतर्निहित मानवता पर ।
II.     टिप्पणी लिखिए ।
.      मास्टर साहब             . गुलाम रसूल
.      हमीद                      . सांप्रदायिक दंगे
III. निबंधात्मक प्रश्न:
१.“मास्टर साहब कहानी सांप्रदायिक दंगे और उसमें अंतर्निहित मानवता का झलक प्रस्तुत करता है- इस उक्ति पर चर्चा कीजिए |
२. “मास्टर साहब” कहानी का सार लिखकर उसकी विशेषता पर प्रकाश डालिए ।

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Thursday, February 21, 2013

I B.Sc. Katha Padav notes & QP


पूस की रात
                                  विट्ठ्ल नायक
उपन्यास साम्राट मुन्शी प्रेमचन्द हिन्दी कहानी साहित्य के मूर्धन्य कहानी कार हैं आपका जन्म ३१जुलाई, सन १८८० . में हुआ आपका असली नाम धनपतराय था उन्हें बचपन में बडी कठिनाइयों का सामना करना पडा पहले नवाबराय के नाम के नाम से कहानियाँ लिखते थे आपने हिन्दी में लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखीं आप कहानीकार, उपन्यासकार, निबन्ध लेखक और संपादक भी थे अक्टूबर सन१९३६ . में आपकी मृत्यु हुई
मुख्य कृतियाँ -सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला आदि उपन्यास है शतरंज के खिलाडी, नमक का दारोगा आदि ३००सौ कहानियाँ हैं
कहानी का सारांश
कहानीपूस की रातमें हल्कू के माध्यम से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है बहुत साल पहले की बात है उत्तर भारत के किसी एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था किसी की जमीन में खेती करता था पर आमदानी कुछ भी नहीं थी उसकी पत्नी खेती करना छोडकर और कहीं मजदूरी करने कहती थी
हल्कू के लगान के तीर पर दूसरों की खेती थी खेते के मालिक का बकाया था हल्कू ने अपनी  पत्नी से तीन रुपए माँगे पत्नी ने देने से इनकार किया, ये तीन रुपिए जाडे की रातों से बचने केलिए, कंबल खरीदने के लिये जमा करके रखे थे मालिक के तगादे और गालियों से डरकर उसने वे तीन रुपिए निकलकर दे दिए जमिंदार रुपिए लेकर चला गया
पूस मास गया अंधेरी रात थी कडाके की सर्दी थी हल्कू अपने खेत के एक किनारे ऊख के पत्तों की छतरी के नीचे बाँस के खटोले पर पडा था अपनी पुरानी चादर ओडे ठिठुर रहा था खाट के नीचे उसका पालतू कुत्ता जबरा पडा कुँ-कूँ कर रहा था वह भी ठण्ड से ठिठुर रहा था हल्कू को उसके हालत पर तरस रहा था उसने जबरा से कहा-‘तू अब ठंड खा, मैं क्या करुँ ? यहाँ आने की क्या जरुरत थी ?’ हल्कू बहुत देर तक कुत्ते से बातें करता रहा जब ठंड के कारण उसे नींद नहीं आई, तब कुत्ते को अपने गोद में सुला लिया उसके शरीर के गर्मी से हल्कू को सुख मिला कुछ घण्टे बीत गये कोई आहट पाकर जबरा उठा और भौंकने लगा उसे अपने कर्तव्य का मान था
हल्कू के खेत के समीप ही आमों का बाग था बाग में पत्तियों का ढेर किया, पास के अरहर के खेत में जाकर कई पौधे उखाड के लाया उसे सुलगाया और अपने खेत में आकर वहाँ के पत्तियों को भी सुलगाया हल्कू और कुत्ते दोनों आग तापने लगे ठंड की असीम शक्ति पर विजय पाकर वह विजय गर्व को ह्रदय में छिपा सकता था वह कंबल ओढकर सो जाता है
उसी समय नजदीक में आहट पाकर जबरा भौंकने लगा कई जानवारों का एक झुण्ड खेत में आया था शायद नील गायों का झुण्ड था उनके कूदने-दौडने की आवजें साफ कान में रही थी फिर ऐसा मालूम हुआ कि वे खेत में चर रही हैं जबरा तो भौंकता रहा फिर भी हल्कू को उठने का मन नहीं हुआ
जबरा तो भौंकता। था नील गायें खेत का सफाया किये डालती थी और हल्कू गर्म राख के पास शांत बैठा हुआ था और धीरे-धीरे चादर ओढकर सो गया उदर नील गायों ने रात भर चरकर खेती की सारी फसल को बरबाद किया था सबेरे उसकी नींद खुली मुन्नी ने उससे कहा-‘...तुम यहाँ आकर रम गये और उधर सारा खेत सत्य नाश हो गया ...’ दोनों खेत के पास गये मुन्नी ने उदास होकर कहा-अब मजूरी करके पेट पालना पडेगा हल्कू ने कहा-‘रात की ठण्ड में यहाँ सोना तो पडेगा उसने यह बात बडी प्रसन्नता से कही, उसे ऐसी खेती करने से मजूरी करना बहुत हद तक आरामदायक है मजूरी करने में झंझट तो नहीं हैं
विशेषताएँ –  
कहानी में कृषक जीवन की दुर्बलता और सबलता की झाँकी दिखाना है कृषक याने किसान एक एक दृष्टि से सबल होता है वह कडी मेहनत करता है पैसा-पैसा काँट-छाँटकर बचा रखता है फिर हर प्रकार के कष्ट सहन करता है जाडे में ठिठुरता है,जमिंदार की गाली सुनता है,फिर भी काम करता जाता है यही उसकी सबलता है वह दुर्बल है, क्यों कि उसमें जमिंदार के अन्याय के विरुद्ध खडा होने की हिम्मत नहीं है परिस्थितियाँ इसके लिए जिम्मेदार हैं हल्कू ने अपनी मेहनत की कमाई जमिंदार को दी और खुद पूस की रात में ठण्ड से ठिठुरने लगा यही उसकी कमजोरी है परिस्थितियों की दबाव के कारण नील गायों से अपनी फसल की रक्षा भी कर सका अतः कहानी कार ने किसान की विवशता के लिए जिम्मेदारी शक्तियों के प्रति व्यंग्य किया है
प्रश्न-
1 ‘पूस की रातकहानी का सारांश लिखिए
भारतीय कृषकों के जीवन का स्पष्ट चित्रपूस की रातमें अंकित किया गया है इस बात को सिद्ध  कीजिए
हल्कू के जीवन की असहयता पर प्रकाश डालिए

टिप्पणी
1. मुन्नी
2. हल्कू
3. जबरा
4. भारतीय किसान की गरीबी

एक अंक के प्रश्न
1.       ‘पूस की रातकहनी का लेखक कौन है ? प्रेम चन्द
.      हल्कू ने कंबल के लिए कितना रुपए जमा किये थे ? तीन
.      हल्कू की स्त्री खेती छोडकर क्या करने के लिए कहती है ?मजूरी
.      हल्कू की स्त्री का नाम क्या है ? मुन्नी
.      हल्कू की कुत्ता का नाम क्या है ?  जबरा
.      जाडा किसकी भाँति हल्कू की छाती कोदबाये हुआ था ?  पिशाच की भाँति
.      हल्कू के खेत की फसल को किस झुण्ड ने सत्य नाश किया था ?   नील गायों ने
.      उजडे खेत को देखकर मुन्नी ने क्या कहा ?  अब मजूरी करके माल्गुजरी भरनी पडगी

मधुआ
१. पिछले सात दिनों से शराबी ने क्या नहीं छुवा? - शराब
२. ठाकुर सरदार सिंह का लडका कहाँ पर पढता था? - लखनऊ
३. सरदार को किसका चस्का था? – कहानी सुनने का
४. ठाकुर आज किस प्रकार की कहानी सुनना चाहता है? – हँसानेवाली
५. कहानी सुनाने पर ठाकुर ने शराबी को क्या दिया? – एक रुपया
६. बालक को किसने लातें लगाई थी? – कुंवर साहब ने
७. शराबी किसको घसीटता हुआ गली में ले चला? – मधुआ को
८. शराबी अपने को किसकी दूकान पर खडा पाया?  - मिठाई की
९. शराबी मधुआ को क्या सिखाने की बात करता है?  - सान देना

टिप्पणी:
१. शराबी
२. मधुआ
३. ठाकुर सरदार सिंह
४. बालक नौकर का शोषण
प्रश्न:
१. मधुआ कहानी के आधारपर शराबी का चित्रण कीजिए।
२. मधुआ कहानी में चित्रित ठाकुर या बडे लोगों की विलासिता, मनोरंजनप्रियता एवं निर्दयता का चित्रण कीजिए।
३. पठित कहानी के आधार पर बालक नौकर का शोषण, उसकी दयनीय स्थिति एवं निष्कपटता का चित्रण अपने शब्दों में लिखिए।
४. मधुआ कहानी के आधारपर शराबी के मनःपरिवर्तन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।

जार्ज पंचम की नाक
एक अंक के प्रश्न
इंग्लेंड की रानी एलिजाबेथ अपने पति के साथ कहाँ पधारनेवाली थी? - हिंदुस्तान
) जार्ज पंचम के कहाँ के लाट की नाक गायब थी? - इंडिया गेट के सामनेवाली
) नाक के गायब होने पर किसे फ़ौरन दिल्ली में हाजिर होने के लिए हुक्म दी गई? - मूर्तिकार
) मूर्तिकार कहाँ  के दौरे पर निकल पडा? - हिंदुस्तान के पहाडी प्रदेशों और पत्थरों की खानों
) मूर्तिकार किससे लाचार था? - पैसे
) जार्ज पंचम की लाट को कैसी नाक लगाई गई? - जिंदा
) जार्ज पंचम की नाक कहानी के लेखक कौन हैं? - कमलेश्वर
) बिहार सेक्रेटेरियट के सामने किसकी मूर्तियाँ स्थापित हैं? - ४२ में शहीद होनेवाले बच्चों की
) रानी के सूट का रेशमी कपडा कहाँ से मँगा गया है? - हिंदुस्तान
१०) शंख कहाँ बज रहा था? - इंग्लेंड
टिप्पणी
.      रानी एलिजाबेथ का हिंदुस्तान दौरा
.      मूर्तिकार
.      मूर्तिकार का देश दौरा
.      नाक के मामले का हल
प्रश्न
जार्ज पंचम की नाककहानी का सार लिखकर उसमें व्यक्त व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
गंगो का जाया
एक अंक के प्रश्न
गंगो का जाया कहानी के लेखक कौन है? - भीष्म साहनी
) गंगो की नौकरी कब छूटी? - जब बरसात का पहला छींटा पड रहा था।
) मजदूर के भाग्य का देवता कौन होता है? - ठेकेदार
) गंगो के पति का नाम क्या है? - घीसू
) गंगो के बेटे का नाम क्या है? - रीसा
) बूट पलिश करने के लिए घीसू ने अपने बेटे को किसके साथ भेजा? - गणेश
) छ्त पर ईंट  पकडने के लिए गंगो को किसने बुलाया? - बूलो मजदूरन
) पालिश की डिबिया लेकर रीसा ने अपने पिता से क्या कहा? - बप्पू,तेरा जूता पालिश कर दूँ
) पेट से बाहर आने को  उतावले बच्चे के बारे में गंगो क्या सोचती है?
- यह क्यों जन्म लेने के लिए इतना उतावला हो रहा है।
टिप्पणी
. घीसू
. गंगो
. रीसा
. ठेकेदार
प्रश्न
1. “मजदूर का भविष्य भी मजदूर ही होता हैइस कथन को गंगो का जायाकहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
2. गंगो का जाया कहानी का सार लिखकर विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
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