Tuesday, January 8, 2013


सूखी डाली
                                                         श्री उपेंद्र्‌नाथ अश्क      
सारांश:- श्री उपेन्द्र्‌नाथ अश्क्जी की एकांकी संग्रह “चरवाहे का अंतिम एकांकी सूखी डाली है। सूखी डाली में अत्यंत तीव्रता पुरक आज के व्यक्ति ,परिवार समाज में व्यापक रुप में व्याप्त अंतर्द्वद्दों संघर्ष को उदघाटित  किया गया है । वट वॄक्ष की छाया बहुत स्थाथी और सुखद होती है। कहा जाता है कि उसमें मौसम के अनुसार  सुखदेने की क्षमता होती है यदि वट वॄक्ष की डाली सूख जाती है,तब वह निरर्थक और सौंदर्य रहित होता है।
सुखी डाली एकांकी में  घर के बुजुर्ग दादा वटवॄक्ष के समान है। उनकी छ्त्र छाया में पले हुए बडे परिवार के भीतर अंत:बाद्य संघर्ष  का तुफान मचा है। लेकिन दादा अपनी बुद्दिमत्ता से उसे आसानी से सुलझा देते है।
दादा के छोटे पोते परेश का तह्सील दार बनना दादा के लिए फक्र की  बात है ता, दूसरी  ओर छोटी पतोहू- का सूरक्षित होना उनके परिवार के लिए संकट भी उपस्थित हो गया है क्योंकि- उनके घर में बडी भभी, मँझली भाभी और छोटी भाभी कहलानेवाली महिलाएँ सीधी-सादी है। उन सब में उनकी पोती इंदु जो प्राइमरी तक शिक्षा प्राप्त की है, वही घर में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी समझी जाती है । दादा उसे बहुत प्यार करते हैं । बेला के ग्रजुएट होने से दादा की पोती और अन्य महिलाओं के बीच अंतर पैदा होता है । वे  सभी बेला के बर्ताव में कसर ढूँढ़्‌ने लगते हैं । बेला भी सभी विषय में अपने मायके की तुलना करते हुए मायके की प्रशंशा करती रहती है । ससुराल के हर चीज में वह कोई न कोई  कसर ढूँढ़ती रहती है, जो घरवालों और उसके पति को भी अच्छा नही लगता है। बेला आजादी चाहती है। उसे अपने जीवन में दूसरों का हस्तक्षेप, दूसरों की आलोचना पसंद नही । वह समझती है कि घर के सभी सदस्य उसका अनादर कर रहे हैं और उसे घर का काम करना पडता है।
परेश से बातचीत करने के बाद उस समस्या का  सुलझान का  विश्वास परेश को देते हैं। बेला के अलावा परिवार के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाते हैं कि वे सभी बेला के काम को भी आपस में बाँटकर कर लें और उसे अधिक समय पढ़्‌ने लिखने के लिए मिल जाय । सभी उसका आदर सत्कार करें । अंत में दादाजी कहते हैं कि –“यह कुटुंब एक महान वृक्ष है । हम सब इसकी डालियाँ हैं । डालियों की वजह से पेड है और डालियाँ छोटी हो या बडी सब उसकी छाया को बढ़ाती है। मैं नही चाहता कि कोई डाली इससे अलग हो जाय । तुम लोग हमेशा मेरा कहा मानते आये हो । बस यही बात कहना चाहता हूँ.......यदि मैंने सुन लिया—किसीने छोटी बहू का निरादर किया है, उसकी हँसी उडायी है या उसका समय नष्ट किया है तो इस घर से मेरा नाता सदा के लिए टूट जाये--- अब तुम जा सकते हो।
दादाजी का कहना सभी मान लेते हैं। अब बेला के हिस्से के काम को भी घर के दूसरे सदस्य आपस में बाँटकर करने लगे। यदि वह उनके पास बातचीत करने के लिए भी आए तो उटकर उसे बैटने का आसन देते और उसका आदर सत्कार करतें। उसके हिस्से के काम को भी घर के दूसरे सदस्य मिलझुलकर करते तो बेला को भी बुरा लगने लगा। अब वह अपनी गलती को सुधारना चाहती है। दादाजी के कपडे इंदु के साथ मिलकर धोने लगती है । दादाजी उसे बाहर बुलाते हैं तो इंदु कहने लगती है कि-“मैंने बहुत बार भाभी को मना किया फ़िर भी वह ना मानी । तब बेला दादा से कहती है कि-“ दादाजी आप पेड से किसी डाली को टूटकर अलग होना पसंद नही करते पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड से लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाए.... बेला का गला भर आता है। अब वह भी अपनी गलती को सुधारकर घर के सभी लोगों के साथ मिलझुलकर खुश रहना चाहती है । इस एकांकी में दादाजी वटवॄक्ष के समान अपने परिवार की रक्षा करते है और परिवार के बँट जाने से बचाते हैं।  
विशेषता :- यह एक आदर्श एकांकी है, जो आज भी समसामयिक है । संयुक्त्त परिवार में जो मज़ा मिलता है, वह विभक्त परिवार में नही मिलता है। बच्चों का दादाजी से कहानी सुनना और बच्चों की मस्ती पर डाँटना भी सुंदर ढंग से दर्शाया गया है। बेला के काम को घर के सदस्यों का आपस में बाँट लेना और बेला भी अपने आप को बदलकर घर के सदस्यों के साथ स्नेह, विश्वास स्थापित करना भी बहुत ही महत्वपूर्ण अंश है। व्यक्ति के लिए स्वातंत्र्य जितना अनिवार्य है, उतना ही कभी कभी घातक भी।
संदर्भ के लिए व्याख्या :-
१. मैंने भी कह दिया, “क्या बात है भाभी तुम्हारे मायके की ? एक नमूना तुम्ही जो हो। एक मिश्रानी और ले आती तो हम गँवार भी उससे कुछ सीख लेते”।
२. क्यों इंदु बेटी, क्या बात हुई-यह रजवा रो रही है, कोई कडवी बात कह दी छोटी बहू ने इसे?
३. मैं क्या करु, मैं हँसी के मारे मर जाऊँगी, छोटी माँ! अभी- अभी छोटी बहू ने परेश की वह गत बनायी। बेचारा अपना –सा मुहँ ले कर दादाजी के पास भाग गया ।
४ क्यों!  उसके  हाथ  नमक-मिट्टी  के  हैं जो गल जायेंगे ? 
५.आओ बेटा परेश, वह मैंने एक दो कपडॆ भेजे थे न, तनिक देखना  बहू ने उन्हें धो डाला है या नहीं । धॊ डालॆ हॊं तो ले आओ जरा । फ़िर मैं तुम से बात करुँगा ।
६. दादाजी, आप पेड से किसी डाली का टूट कर अलग होना पसंद नही करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाये...
एक शब्द या वाक्यांश में उत्तर लिखिए:-
1.  “सूखी डाली” एकांकी के लेखक कौन है ?
उ.  “सूखी डाली” एकांकी के लेखक श्री उपेंद्रनाथ अश्क है ।
२.  बैठ्क के बाहर खडी कौन रो रही थी?
उ.  बैठक के बाहर खडी मिश्रानी रो रही थी।
३.  घर में बुजुर्ग कौन है ?
उ.   घर में दादाजी बुजुर्ग है ।
४.  छोटी बहू का नाम क्या है?
उ.  छोटी बहू का नाम बेला है।
५.  नौकरानी का नाम क्या है?
उ.  नौकरानी का नाम रजवा है।
६.  परेश कौन है ?
उ.  परेश बेला का पति है ।
७.  दादाजी की पोती का नाम क्या है ?
उ.  दादाजी की पोती का नाम इंदु है ।

निबंधात्मक प्रश्न :-
1.“सूखी डाली” एकांकी का सरांश लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
२. एकांकी तत्वों के आधार पर “सूखी डाली” का सारांश लिखकर अपनी राय लिखिए।
३. “सूखी डाली” एकांकी के आधार पर दादाजी का चरित्र चित्रण कीजिए ।
टिप्पणी लिखिए:-
१.      परेश
२.      इंदु
३.      बेला
४.      मंझली भाभी
                      
        
                                                श्रीमती कर्केरा अनसूया टी.
                                                                   विभागाध्यक्ष, विजया कालेज,मुल्कि.

शेरशाह                 
 आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा
सारांश:   शेरशाह  एक  ऎतिहासिक संदर्भ पर लिखा गया सांस्कॄतिक चेतना का उदघाटक एकांकी है । शेरशाह का बचपन का नाम फरीद है । अपनी प्रतिभा, संकल्प लगन, उदारता, न्यायशीलता के कारण सचमुच फरीद (बेमिसाल) है। 
 फरीद के पिता का नाम हसन खाँ  है । हसन खाँ अपनी दूसरी पत्नी {फरीद की सौतेली माँ} के हाथों कठपुतली बना है। वह जोरु का गुलाम बना है। इसलिए वह अपने पुत्र फरीद की प्रतिभा  को देखकर भी अनदेखा करता है । उसे अपेक्षित पुत्र प्रेम नहीं दे पाता । ना उसे विश्वास दिखाता है,  न ही दिशा-निर्देश । फलस्वरुप फरीद  स्वंय दिशा की खोज में निकल पड़ता है । वह अपने संकल्प गुण प्रतिभा के कारण इतिहास पुरुष बन जाता है । अपनी माँ को न्याय दिलाने के लिए पिताजी से बहस करता है । उसके पिता उसे गिरफ़्तार करने की धमकी देते है। तब फरीद कहता है कि: “ प्रजा मुझे क्या समझती है,यह आप जानते तो गिरफतार करने की बात नहीं करते । मैं अपनी खुशी से जा रहा हूँ। आप इस छोटे मोटे परगने {भूमि का वह भाग जिसके अंतर्गत बहुत से गाँव हो} बहुत बडी चीज समझते हैं। मैं इन हाथों से ऎसे एक दो सल्तनत नही सैंकडों हजारों परगने हासिल करँगा, एक सल्तनत कायम कँरुगा । खानदान ने मुझे बडा नहीं बनाया तो मैं खानदान को बडा  बनाऊँगा । मैं बादशाहत बनूँगा और एक ऎसी मिसाल  छोड जाऊँगा। जिसके आगे पीछे दूसरी  मिसाल नहीं मिलेगी। आपने मुझे मोहoबत नहीं दी, मगर मैं आपको शोहरत दूँगा। हसन खा ँका नाम ऎसे कोई याद नही करेगा लेकिन फ़रीद के बाप की हैसियत से हसन खाँ हमेशा जिंदा रहेंगें।
दूसरे दॄश्य में प्यारेलाल और किसान के संवाद से  पता चलता है कि जब से शेरशाह ने हुकूमत सँभाली है तब से जैसे सतयुग चल रहा है । न चोरी, न अत्याचार, न डकैती। न्याय देने में अपने पराये का भेदभाव नही है ।अपने बेटे को भी वही सजा देता है, जो दूसरों को दिया करता था। अंतिम साँस तक वह अपनी प्रजा और सल्तनत के लिए लडता रहा ।
एक अंग्रेज इतिहासकार ने तो उसके संबध में यहा‘ँ तक कह डाला है-“ दिस मुगल-
पठान शेरशाह हैज शोन सच डयाम ए विजय व्हिच ना‘ंट इवान द ब्रिटिश एम्परर कैन डू” यह प्रमाण पत्र उसकी अद्वितीय प्रतिभा का प्रामाणिक दस्तावेज है।               
निबंधात्मक प्रश्न :-
1.       “शेरशाहे” एकांकी का सारंश लिखकर अपने शब्दों में विश्लेशण कीजिए।?
२.      एकांकी तत्वों के आधार पर शेरशाह एकांकी का सारांश लिखिए ।?
३.      शेरशाह एकांकी के आधार पर शेरशाह का चरित्र चित्रण कीजिए ?
४.      शेरशाह एकांकी के आधार पर हसन खाँ का चरित्र चित्रण कीजिए?

संसर्भ सहित व्याख्या लिखिए
१       जमील दुनिया में दौलत और अख्तियार से भी बढ़कर एक चीज है ठुकरा सकता हुँ,। आख्तियार से तौवा कर सकता हुँ पर इन्सानियात को नहीं भूला सकता और  जिन दस सालों की तुम बात कहती हो,वे बेकार नहीं गये हैं। उन दस सालों में इल्म हासिल कर में आदमी बना हुँ।
२       जगे हुए सपना देख रहे हो क्या ?
३       मैं वैसे सपने देखता ही नहीं,जो पूरे नहीं हो?
४       फरीद !सुना है तुम कहीं जा रहे हा
५       खबरदार सँभलकर बात करो।
६       क्या एक बाप अपने जाते हुए बेटे से इतना पूछ्ने का भी हकदार नहीं कि वह                             
          कहाँ जा रहे हो।
७.  तुम अपनी माँ की वकालत कर रहे हो ।
८.  अरे नहीं जी  यह सराय बादशाह की बनाई हुई है। राहियों के आराम और सुभीते                 
          के लिए।
९. तुम्हें तो जहाँ देखो,वहीं गान बजाना ,चलों सराय में वहीं गान चाहे नाचना।
१०. तुम बेफिक्र होकर अपनी फरियाद पेश करो।
११. जहाँ पनाह ताबेदार कुछ हर्ज करने की इजाजत चाहता हैं।
      १२. अब हम इसके मुताल्लिक कोई बाय सुनना नहीं चाहते ।
      १३. कुसुर और सजा का ऎलान करते हुए फिरोज खाँ को सारे शहर में घुमाया
          जाय जहाँ  पनाह को इस हालत में छोडकर हम कैसे हम जा सकते है?
      १४. शाबश ! शाबश ! लौट जाओ । दुबारा आओ तो यह खबर लेकर कि किला
          फतह हो गया हमारी साँस उसी खबर को सुनने के लिए अटकती हैं ।
          तब हम चैन से मरेंगे ।
       
एक शब्दा में उत्तर लिखिए
१.      शेराशाह एकांकी के लेखक का नाम लिखिए
उ.  आचार्य देवेन्द्र्नात शर्मा ।
2.       शेरशाह के बचपन का नाम क्या हैं ? 
उ. फरीद ।                                                       
3.       शेरशाह का पिता का नाम क्या हैं ?
उ. हसन खाँ ।
4.       शेरशाह का पत्नी का नाम क्या हैं ?
उ. जमीला ।
5.       बडपन की पहली सीढी क्या हैं ?
उ. इन्सानियत।
6.       फरीद कैसे सपने नहीं देख रहा था?
उ. जो पुरे नहीं हो।
7.       फरीद किसकी वकालत करता है?
उ. अपनी माँ की ।
8.       नंदगोपाल और प्यारेलाल कौन है?
उ. राही हैं।
9.       शेरशाह के बेटे का नाम कया हैं ?
उ. आदिल है ।
१०. शेरशाह अपनी तलवार किसे इनाम में देते हैं ?
उ.  इसा खाँ ।
    टिप्प्णी लिखिए :-
१.      हसन खाँ
२.      आदिल खाँ
३.      किशन
४.      फ़रियादी औरत
५.      चंद्रमा राय
                                                SmtSmt. Karkera Anasooya. T.
                                                                             H.O.D.,Hindi.
                                                                             Vijaya College, Mulky.


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