Friday, January 25, 2013

ek tha gadha urf aladad khan


एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ (शरद जोशी)
एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ, शरद जोशी द्वारा लिखा व्यंग्य नाटक है । शरद जोशी जी ने अपने नाटक में स्पष्ट करने की कोशिश किया है - किस प्रकार राजनीतिक पक्ष अपने स्वार्थ के लिए सामान्य जनता को मूर्ख बनाए रखते हैं और इसी राजनीतिक परिवेश के कारण देश में घट रही मूल्यहन्ता त्रासदी को दर्शाना ही इस नाटक का मुख्य उद्देश्य है ।
एक तरह से शरद जोशी जी ने यह नाटक उस समय लिखा था, जब देश में आपातकाल के कारण जनसाधारण शोषित था । यह उसी सच्चाई का दर्पण मान सकते हैं ।
नाटक में पात्रों की संख्या कोई है । लेकिन मुख्य पात्र नवाब व कोतवाल जो राजनीतिक व प्रशासनिक शक्ति के प्रतीक है और अलादाद खाँ जो जनसाधारण का प्रतीक हैं जो दुखी है, परेशान है जिन्हें कोई नहीं सुनता ।
SUMMARY:
There lived a washer man named Juggan, in a small township. He had a companion, close enough to his heart, his donkey named Alladad Khan. Alas! The donkey hits the bucket all of a sudden. Juggan wails in pain, howling day in day out, hovering healther and thither for his dead Alladad khan. There used to be a routine gathering of some young boys the colony at Devilal Panwala’s shop. The Kotwal of the town passes by the shop and bump into the boys.
He gives a good thrashing for their gathering as such and calls it unsocial. The boys forward a plausible excuse for such, as they inform him about the sudden demise of a respected figure of the society, whom they pretend to be Alladad Khan. They are supposed to be gathered here for the same. Kotwal on the other hand, getting late for the Nawab’s court finds a great excuse. He put forward the same excuse to Nawab Sahab, when questioned for his late arrival. Nawab has a soft corner for ‘wide acknowledgement’ at no price.
Thus, in order to cash the blood of late Alladad Khan, Nawab proclaim three days official leave to all and his self-visit to the Janaza of Alladad Khan now, there goes a tacit preparation for the Nawab suspect something fishy and discover the truth that Alladad Khan is no one but a donkey. This ignites a great chaos and pandemonium in the presidency. All are afraid of letting the whole preparation go vein and no one wishes to let this mania go down. And lo! They discover a man named Alladad Khan in the same township, who seems to be a solution to keep the ambience fervent. He was then planned to be killed and the Nawab shoulders the responsibility to do so. In this way, the Nawab get himself enlisted in the royal history of his presidency, as the most generous ruler, history has ever seen.
राजनीतिक पक्ष द्वारा अमन व शान्ति की बात की जाती है । लेकिन अन्दर ही अन्दर आम जनता दुःखी है । जैसे - अलादाद खाँ । राजनीतिक व प्रशासन के प्रतीक नवाब व कोतवाल अपने स्वार्थ के कारण अलादाद खाँ को मरने पर मजबूर करते हैं । दुखी व परेशान अलादाद खाँ अपना पक्ष रखते हुए कहता हैं -
 मैं अलादाद खाँ हूँ । मगर मेरी कोई गलती नहीं । ... मैं हमेशा बाँए से चलता हूँ । क्यू मैं खड़ा रहता हूँ । सिपाही के हुकम को कानून मानता हूँ । टैक्स चुकाता हूँ । रात के बाद घर से नहीं निकलता,... पड़ोसियों की मौका-मुसीबत में मदद करता हूँ ।... मैंने कभी कोई गलती नहीं
की ।
लेकिन अलादाद खाँ का दुःख नवाब सुनने को तैयार नहीं, नवाब केवल अपना भविष्य व स्वार्थ देखते हुए, जवाब देते हैं इतिहास नहीं पढ़ा । लगता है तुमने सिर्फ नागरिकशास्त्र पढ़ा है, इतिहास नहीं पढ़ा । अब वक्त नहीं रहा क्योंकि तुम खुद इतिहास होने जा रहे हो, अलादाद, इतिहास । यह तुम हो और तुम न होते तो कोई दूसरा होता या न होता, मगर जो भी हो हम एक जनाजा देखने के लिए बेचैन खड़ी भीड़ को ज्यादा देर निराश नहीं करेंगे ।
इस प्रकार नवाब अपने स्वार्थ के लिए, निर्दोष अलादाद खाँ को मार देते हैं नवाब उपदेश देते है हर नागरिक को त्याग और कुर्बानी को तैयार हो जाना चाहिए । अतः राजनीतिक पक्ष जो भी उपदेश्य देते हैं, कहते कुछ और करते कुछ ओर हैं । केवल अपना ही सोचते हैं ।
. प्रश्न-उत्तर
) जुग्गन क्या काम करता था ?
उत्तर - धोबी २) जुग्गन ने किस का नाम अलादाद खाँ रखा था ? उत्तर - गधे का नाम
) पानवाले का क्या नाम था ?
उत्तर - देवीलाल ४) नवाब किस की लाश को कन्धा देना चाहते है ? उत्तर - अलादाद खाँ 
) अलादाद खाँ का क्या कुसूर था ?
उत्तर - क्योंकि मरे हुए गधे का नाम अलादाद खाँ था ।६) सरकारी तौर पर किस की मरने की पुष्टि हो चुकी थी । उत्तर - अलादाद खाँ
कक.    निबन्धात्मक प्रश्न
) एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ में व्यक्त व्यंग्य पर प्रकाश डालिए । २) एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ नाटक के कथावस्तु पर प्रकाश डालिए । ३) नाटक के विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
)नवाब व कोतवाल दोनों राजनीतिक व प्रशासनिक प्रतीक है । नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
)विश्व के इतिहास में आम आदमी की भूमिका न के बार है । इस सत्य को नाटक के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
डा. आर. नागेश
हिन्दी विभाग
संत आग्नेस कालेज (स्वायत्त
मंगलूर - 575002  Mobile: 9980313384 


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Thursday, January 17, 2013

george pancham ki naak


जार्ज पंचम की नाक
एक अंक के प्रश्न
१)  इंग्लेंड की रानी एलिजाबेथ अपने पति के साथ कहाँ पधारनेवाली थी?
हिंदुस्तान
२) जार्ज पंचम के कहाँ के लाट की नाक गायब थी?
इंडिया गेट के सामनेवाली
३) नाक के गायब होने पर किसे फ़ौरन दिल्ली में हाजिर होने के लिए हुक्म दी गई?
मूर्तिकार
४) मूर्तिकार कहाँ  के दौरे पर निकल पडा?
हिंदुस्तान के पहाडी प्रदेशों और पत्थरों की खानों
५) मूर्तिकार किससे लाचार था?
पैसे
६) जार्ज पंचम की लाट को कैसी नाक लगाई गई?
          जिंदा
७) जार्ज पंचम की नाक कहानी के लेखक कौन हैं?
कमलेश्वर
८) बिहार सेक्रेटेरियट के सामने किसकी मूर्तियाँ स्थापित हैं?
४२ में शहीद होनेवाले बच्चों की
९) रानी के सूट का रेशमी कपडा कहाँ से मँगा गया है?
हिंदुस्तान
१०) शंख कहाँ बज रहा था?
इंग्लेंड

टिप्पणी
.      रानी एलिजाबेथ का हिंदुस्तान दौरा
.      मूर्तिकार
.      मूर्तिकार का देश दौरा
.      नाक के मामले का हल

प्रश्न
जार्ज पंचम की नाक” कहानी का सार लिखकर उसमें व्यक्त व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
                                      गंगो का जाया
एक अंक के प्रश्न
गंगो का जाया कहानी के लेखक कौन है?
भीष्म साहनी
) गंगो की नौकरी कब छूटी?
जब बरसात का पहला छींटा पड रहा था।
) मजदूर के भाग्य का देवता कौन होता है?
ठेकेदार
) गंगो के पति का नाम क्या है?
घीसू
) गंगो के बेटे का नाम क्या है?
रीसा
) बूट पलिश करने के लिए घीसू ने अपने बेटे को किसके साथ भेजा?
गणेश
) छ्त पर ईंट  पकडने के लिए गंगो को किसने बुलाया?
बूलो मजदूरन
) पालिश की डिबिया लेकर रीसा ने अपने पिता से क्या कहा?
बप्पू,तेरा जूता पालिश कर दूँ
) पेट से बाहर आने को  उतावले बच्चे के बारे में गंगो क्या सोचती है?
यह क्यों जन्म लेने के लिए इतना उतावला हो रहा है।
टिप्पणी
. घीसू
. गंगो
. रीसा
. ठेकेदार
प्रश्न
1.       “मजदूर का भविष्य भी मजदूर ही होता है”इस कथन को “गंगो का जाया”कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
2.       गंगो का जाया कहानी का सार लिखकर विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Monday, January 14, 2013


मास्टर साहब
चंद्रगुप्त विद्यालंकार
  आपका जन्म पंजाब के एक गाँव कोटअदूदू में हुआ। आपकी शिक्षा गुरुकुल कांगडी, हरिद्वांर में हुई । आपके कई कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी-लेखक के अतिरिक्त आप सफल आलोचक तथा पत्रकार भी है । सजीव चित्रण, रोचक शैली तथा प्रवाहपूर्ण भाषा के कारण आपकी कहानियाँ मर्मस्पर्शी हॊती है, जिन्हें पढकर पाठक तन्मय हो जाताहै। आपने गहन विषयों को सरल शैली और माध्यम द्वारा प्रस्तुत किया है। मनुष्य की संवेदनाओं को पकडने और प्रतिफलित करने के लिए आपकी कहानियाँ बहुत गहरे उतरती है।
सारांश:
  बूढे मास्टर रामरतन अजीब थकान की वजह से खेतों के बीचोंबीच बने छॊटे से चबूतरे पर बिछी चटाई पर लेट गए। सनू १९४७ के अगस्त मास की एक चाँदनी रात अभी अभी शुरू हुई थी। पिछले दिनों बहुत गर्मी रही थी- मौसम की भी, दिमाग की भी। मास्टर साहब का यह कस्बा जैसे दुनिया के एक किनारे पर है। नजदीक से नजदीक का रेलवे स्टेशन वहाँ से तीन मील की दूरी पर है । पिछले कितने ही दिनों से अमंगलपूर्ण खबरें दिन-रात सुनने में आ रही है कि मुसलमान हिन्दुओं और सिक्खॊं के खून के प्यासे बन गए हैं। दुनिया तबाह हो रही है, घर-बार लूटे जा रहे हैं । सब तरफ मार-काट जारी है । मास्टर साहब के गांव में अभी तक अमन-चैन जारी है। मास्टर साहब अपनी जिंदगी के ६५ साल यहां बिताया है और उनकी शागिर्दों की संख्या हजारों में है। हिन्दू, सिक्ख, मुसलमान सभी कॊ उन्होंने दिलचस्पी से पढाया है। कॊई एकाएक उनका दुश्मन कैसे और क्यों बन जाएगा। फिर उन जैसा फारसीदां पाकिस्तान वालों का कोई दुश्मन कैसे हो जाएगा? । पाकिस्तान एक दिन बनना ही था, वह मास्टर साहब के जिंदगी में ही बन गया । लेटे-लेटे मास्टर साहब को नींद आ गई। आँखें जब खुली तो सहसा उन्होंने पाया कि वातावरन अभी तक एकदम नीरव है। वे उठे और तेजी से गाँव की तरफ चल पडे। एक गहरी चुप्पी पुकारकर उन्हें चेतावनी दे रही थी कि महाकाल की बेला सिर पर है। वे तेजी से अपने गांव की ओर बढते गए। दौडते दौडते गाँव की सीमा में आ पहुँचे। सामने मिले पडोसी नत्थुसिंह से पूछा कि मेरे घर का क्या हाल है। वह अपनी असमर्थता को सिर हिलाकर जता दिया । दूर पर जल रहे मकानों की ज्वालाएं एक भयोत्पादक आवाज उत्पन्न कर रही थी। क्षण-भर बाद मास्टर साहब ने अपनी लाडली पोती निम्मो को आवाज दी, कोई जवाब नहीं मिला । मास्टर साहब ने पुकारा-निम्मो की दीदी, बेटा सत्ती, बेटा प्रकाश बेटी सत्यवती कोई जवाब नहीं आया !
  मास्टर साहब धीरे-धीरे घर के भीतर प्रविश्ट हुए। तुलसी के झाड के नीचे नन्हें सत्ती और नन्हे प्रकाश के क्षत-विक्षत निष्प्राण देह पडे मिले। चबुतरे पर माँ-बेटी, मास्टर साहब की जीवन संगिनी अपनी बडी लडकी से चिपककर पडी है-निप्प्राण-निस्पन्द। पर उनकी लाडली पोती निम्मो- जिसकी पन्द्रहवी वर्षगांठ अभी पाँच दिन पहले हुआ- कहीं दिखाई नहीं दी। बाद में उन्हें पता चला कि चांद डूबने से घण्टा- भर पहले मुसलमानों की एक बहुत बडी संख्या ने गाँव के उस भाग पर हमला कर दिया, जिसमें हिन्दु और सिक्ख रहते थे। यह हमला इतना अचानक और इतने जोर से हुआ कि उसका मुकाबला किया ही नहीं जा सका । भयंकर मारकाट और लूटमार के बाद गुण्डे लोग गाडियों में भरकर लूटा हुआ माल अपने साथ लेते गए, साथ ही गाँव की बीसों जवान लडकियों को भी अपने साथ ले गए । वे लोग बच गए जो रात की वक्त घरों से भागकर खेतों में जा छिपे या दूर भाग गए । वे सब लोग अब एक जगह इकट्ठे कर लिए गए, और उन्हें नए हिन्दुस्तान में भेजने का इन्तजाम किया जा रहा है। अपनी जीवन-संगिनी, बडी विधवा पुत्री और दोनों पोतों को एकसाथ खोकर पागल सा हो गये थे। बूढे मास्टर ने निश्चय किया कि वे किसी तरह निम्मो की तलाश करेंगे, किसी--किसी तरह उसके पास पहुँच जाएँगे और साफ था कि वह उसे बचा नहीं सकेंगे, तब निम्मो के पास पहुँचकर अपने हाथों अपनी पोती की हत्या करके खुद भी मर माएँगे।
  गाँव छॊडने के तीन दिन के भीतर मास्टर रामरतन का कायाक्ल्प हो गया, किसी अपरिचित के लिए यह पहचान सकना आसान नहीं था कि वह हिन्दू है या मुसलमान, वह एक फकीर की तरह दिख रहे थे। आसपास की कितनी बस्तियाँ और गाँवों को तलाश ने के बाद मालुम हुआ कि गाँव पर आक्रमण करने वालों का मुखिया एक पूरे गाँव का जमींदार गुलाम रसूल था और यह भी कि वह कितनी ही हिन्दू लडकियों को अपने साथ घर ले गया हैं।
  गुलाम रसूल का घर तलाश करने में मास्टर साहब को देर नहीं लगी । उन्होंने मकान पर दस्तक दी एक बच्चे ने आकर पूछा-क्या चाहिए? एक महान हत्यारे के घर उनका स्वागत एक बच्चा करेगा, इसकी उम्मीद उन्हें कदापि नहीं थी । बच्चा अंदर जाकर कहा- कोई फकीर है अम्मी! अब्बा को पूछता है। इस बीच उन्होंने उपाय सोच लिया, नूरपूर के जमींदार के नाम पर, जो लडकियाँ चाहता है और अच्छा कीमत भी देने को तैय्यार है, इस बहाने लडकियों को देखने की इच्छा प्रकट कर सकते है। अगर उनकी चाल असफल हो गई तो वे अंदर छिपे तेज चाकू से रसूल पर हमला करेंगे, नहीं तो इसी चाकू से एक हत्या निम्मो का और उसके बाद आत्महत्या।
  सहसा एक अप्रत्यशिता घटना घटित हो गई । जो छोटा बच्चा पहले दरवाजा खोला था, उसी हमीद का हाथ पकडकर निम्मो दरवाजे पर आ गई, मास्टर साहब चीख उठे-निम्मो! और १५ वर्ष की पोती को गॊद में उठा लिया । भावों का पहला तूफान निकल जाने के बाद उन्होंने पाया कि बच्चा हमीद निम्मो का हाथ ही नहीं छॊडना चाहता। अब भी उसका दाहिना हाथ निम्मो के बायें हाथ को पकडे हुए है । सहसा गली में शॊर मच गया “काफिर, काफिर” मास्टर साहब जेब से चाकू निकलने से पहले दो जवान मुसलमानों ने उन्हें जकडकर पकड लिया उसी वक्त गालियाँ बकते हुए गुलाम रसूल ने अपनी बैठक में प्रवेश किया । मास्टर पर निगाह पडते ही वह चिल्ला उठा ......ओह मास्टर साहब ! आप यहाँ कैसे? मानवीय सहानुभूति का हल्का सा आसरा पाकर बूढे मास्टर के हृदय की संपूर्ण व्यथा आँखों की राह बह चली कुछ क्षण बाद रसूल ने मास्टर को अपनी छाती से लगा लिया । जब पता चला कि निम्मो उनकी पोती है तो, तभी चार दिनों में उसका बेटा हमीद इसे अपनी सगी बहन समझने लगा है। और मास्टर साहब से कहा-निम्मो के साथ मेरी हिफाजत में आप चाहे जहाँ भी चले जा सकोग ।
  सांप्रदायिक दंगों के पाशविक वातावरण में इन्सान एक दूसरे के खून का प्यासा हो गया है। ऎसे समय अधिकतर इन्सान सांप्रदायिक विष को पीकर मानवता की रक्षा में अपना सहयोग देते है । अक्सर देखा जाय तो यह भावना हमेशा अन्तर्धारा के रुप में विद्यमान रहकर अपना असर दिखाती हैं।

डॉ सुकन्या मार्टिस
पूर्णप्रज्ञ कालेज
उडुपि

I.        एक शब्द या वाक्य में प्रश्न (आप उत्तर वाक्यों में लिखिए)
1.         मास्टर साहब का पूरा नाम क्या है?- रामरतन
2.         मास्टर साहब कहानी किस समय की है- आगस्त १९४७
3.         मास्टर साहब की पोती कौन है- निर्मला
4.         निर्मल को प्यार से क्या बुलाते है- निम्मो।
5.         मास्टर साहब के बेटी और पोतों का नाम क्या हैं?- बेटी-सत्यवती पोता-सत्ती और प्रकाश
6.         गुलम रसूल के बेटे का नाम क्या हैंहमीद
7.         मास्टर साहब के गाँव पर आक्रमण करनेवालों का मुखिया कौन् है?- जमिंदार गुलाम रसूल
8.         मास्टर साहब का पडोसी कौन हैं?- नत्थूसिंह
9.         निम्मो कितने साल की हैं? - १५
10.       मास्टर साहब यह कहानी किस पर आधारित हैं?-सांप्रदायिक दंगे और अंतर्निहित मानवता पर ।
II.       टिप्पणी लिखिए ।
.        मास्टर साहब             . गुलाम रसूल
.        हमीद                      . सांप्रदायिक दंगे
III.        “मास्टर साहब कहानी सांप्रदायिक दंगे और उसमें अंतर्निहित मानवता का झलक प्रस्तुत करता है- इस उक्ति पर चर्चा कीजिए

अथवा
मास्टर साहब” कहानी का सार लिखकर उसकी विशेषता पर प्रकाश डालिए ।



padhayee


पढाई - जैनेंद्र कुमार
जैनेंद्रकुमार का जन्म कौडियागंज अलीगढ में १९०५ ईं में एक मध्यवर्गीय जैन परिवार में हुआ। प्रेमचंद के पश्चात हिन्दी कहानी को नयी दिशा देनेवाले महत्वपूर्ण कथाकारों में जैनेंद्रकुमार विशिष्ट है। जैनेंद्र से पूर्व की कहानियाँ घटना प्रधान थी सन् १९३० के पश्चात् जैनेंद्र ही एक ऎसे कहनीकार है, जिन्होंने अपनी कहानियों में घटनाऒं के स्थान पर पात्रों के चरित्र को अधिक महत्व दिया। वे पात्रों के अंतर्मन में पैठकर वहाँ की पीडाओं का अंर्तद्धन्द्धों का अत्यंत बारीकी से अवलोकन किया और सहज भाषा शैली द्वारा, मनोदशाओं के उतार चदाओं का सूक्ष्म चित्रण प्रस्तुत किया। जैनेंद्रजी के आगमन से हिन्दी-कहानी में मनॊवैज्ञानिकता का पक्ष विशेष रूप से सबल बन गया।
सारांश:
          पढाई कहानी में लेखक की बेटी का नाम सुनयना है, सब लोग प्यार से उसे नूनो बुलाते W। वह छह बरस की हो गई है अब अदब सीखे, कहना माने और शऊर से रहे। पर यह है कि माँ का दूध नहीं छॊडना चाहती । माँ इससे बडी असंतुष्ट है- एक तो लडकी है, वह यों बिगडी जा रही है। बिगड जाएगी तो फिर कौन संभालेगा ?
          उनके पेट की कन्या है, पर दुनिया बुरी है। उसने पढना लिखना जैसी चीज भी अपने बीच में पैदा कर रखी है । इस दुनिया को लेकर वह झाँझट में पड जाती है । माँ तो माँ है, पर लडकी तो सदा लडकी बनी रहेगी नहीं । नूनो को पढाने केलिए मास्टर्जी आते हैं बॆटी पढना नहीं चाहती, लेकिन माँ कहती है “मास्टरजी, इसे तस्वीर वाला सबक पढाना और इसके मन के मुताबिक पढाना ।”----और  फिर नूनो की ऒर जो देखती है, तो और कहती है - “अच्छा मास्टरजी, आज छुट्टी सही। जरा कल जल्दी आ जाना |”
          एक दिन जब लेखक लिख रहे थे तब उनकी पत्नी आकर कहती है नूनो को पढने लिखने में मन नहीं है , क्यों नहीं उसे बुलाकर कुछ कहते? तब लेखक कहते हैं अभी वह छः साल की है, बहुत छॊटी है, आगे चलकर पढेगी पर वह जब नहीं मानती। वह चाहती है कि उसकी बेटी घर में ही पाँच घंटे पढे। पाठशाला में अध्यापिका बच्चे का नेक खयाल नहीं रखती, धमकाएँ और मांरे भी और वह बच्ची को आँखॊं से ऒझल होने देना नहीं चाहती। लेखक अंत में, दिन में एक घंटा बेटी को पढाने का जिम्मेदारी लेते है तो पत्नी खुश हो जाती है ।
          सबेरे ही घर में कोलाहाल सुनाई दिया तो लेखक समझ गए कि यह नूनो को लेकर ही है नहीं तो सभी अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। सारा हंगामा नूनो के दुध न पीने की जिद को लेकर है पर वह बुआ के प्यार से कहने पर दूध पीकर दोस्त हरिया के साथ खेलने चली जाती है। जब वह अपने दोस्तों के साथ “गोपीचंदर भरा समन्दर बोल मेरी मच्ची, कित्ना पानी? खेलने में मगन है, बीच में नौकर आकर नूनो का हाथ पकडकर कहा- “चलो, बहुजी बुलाती है”। पर नुनॊ जाना नहीं चाहती, नौकर हाथ खींचने लगा तो लेखक छत पर से खेल देख रहे थे तो नौकर को दो बार रोकते है पर तीसरी बार खुद उनकी पत्नी आकर नूनो को खींचती हुई ले गई और कोठरी में बंद कर दिया। बेटी को कमरे में बंद तो कर दिया और साथ ही खूब रो ली। लेकिन लेखक ने खाना नहीं खाया। कहा “ मेरा एक घंटा पढाई (बेटी को खेलने देना ही) यही है। पत्नी ने आँसुऒं से सबकुछ स्वीकार कर लिया चौथे रोज मायके चल दी, कुछ दिन बाद वह आ गई लेखक की सब बात झट मान लेती है, पर हाल वही है। क्योंकि लडकी को पढाना है और पिटकर दुबली होगी तो डाक्टर है, और डाक्टर केलिए पैसा है- पर लडकी को पढना है ।
          अंत में लेखक बेटी को पढाने के नाम पर अकेले में नूनो से मच्छी-मच्छी खेलता चाहते है और नूनो खेलती नहीं, लेखक से किताब के मतलब पूछती हैं।

विशेषताएँ:
          ‘पढाई’ कहानी बाल्य मनोविज्ञान के आधार पर लिखी गई है, जिसमें लडकी की पढाई-लिखाई की समस्या पर एक परिवार के अतरंग भावों का खूबी के साथ चित्रण किया गया है। बडे लोग अपने बच्चों के मनॊभावों का अध्ययन न कर, उन पर अपने विचारों को ही थॊपने का प्रयास करते हैं तथा कहा न माननेवाले बच्चों को देते हैं प्रताडना, जिससे बाल्य मन के विकास में एक अवरोध पैदा हो जाता है । यही इस कहानी का मूल प्रतिपाद्य विषय है जो पाठकों को चिन्तन करने के लिए बाध्य कर देता हैं।
I.      एक शब्द या वाक्य के प्रश्न: (आप उत्तर वाक्यों में लिखिए)
1.       नूनो का पूरा नाम क्या है?- सुनयना
2.       हरिया कौन है? - सुनयना का दोस्त
3.       नूनो को कहाँ बंद कर दिया गया?- कोठरी में
4.       हरि या हरिया का पूरा नाम क्या है?- हरिश्चन्द्र
5.       सब बच्चे मिलकर क्या खेल रहे थे? - गॊपीचन्दर भरा समन्दर बोल मेरी मच्छी, कित्ता पानी?
6.       नूनो को रोज रोज क्या अच्छा नहीं लगता- दुध पीना
7.       नूनो कितने बरस की हैं? - छह
8.       माँ किस बात को लेकर झंझट में पड जाती है?- दुनियादारि
9.       माँ मास्टरजी से नूनो को कैसे पढाने केलिए कहती है? - तस्वीरवाला सबक पढाना, इसके मन के मुताबिक पढाना ।
10.     माँ नूनो को घर पर कितने घंटे पढाने के लिए कहती है? - ५ घंटे

II.     टिप्पणी
.      लेखक की पत्नी       २. बुआ
.      हरिया                     . लेखक
III.      . बाल मनोविज्ञान पर आधारित ‘पढाई’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।
अथवा
पढाई’ कहानी का सार लिखकर उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।

डॉ सुकन्या मार्टिस
पूर्णप्रज्ञ कालेज
उडुपि